जिन हिंदुओं ने झंडा और राष्ट्रगान बनाया, उसी समुदाय की जान लेने पर उतारू हैं मुस्लिम कट्टरपंथी!

बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समूहों को के साथ अत्याचार किया जा रहा है. वहां से भयावह तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जो बेहद डरावनी हैं.

बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समूहों को के साथ अत्याचार किया जा रहा है. वहां से भयावह तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जो बेहद डरावनी हैं. इसे लेकर पीएम मोदी ने बांग्लादेश में नए प्रधानमंत्री प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को उनके पदभार पर बधाई देने के साथ ही चिंता भी जताई है.

पीएम मोदी ने मोहम्मद यूनुस को बधाई देते हुए एक्स पर लिखा, ‘प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को उनकी नई जिम्मेदारी संभालने पर मेरी शुभकामनाएं. हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी, जिससे हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.यानी इससे स्पष्ट हो गया कि बंग्लादेश में हिंदुओं के साथ अन्याय हो रहा है. आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि जिस बंग्लादेश को हिंदू ने पहचान दिलाई, आज वहीं हिंदू बंग्लादेश में सेफ नहीं है.

क्या भूल गए हैं ये कट्टरपंथी?

बता दें कि बांग्लादेश के राष्ट्रगान और झंडे का डिज़ाइनर कोई और नहीं बल्कि एक हिंदू था. बांग्लादेश का राष्ट्रगान लिखने वाले रवींद्रनाथ टैगोर को कौन नहीं जानता? टैगोर ने बांग्लादेश के लिए राष्ट्रगान लिखा था. साथ ही, दुनिया के किसी भी देश के सम्मान और पहचान का प्रतीक ध्वज का डिज़ाइनर भी एक हिंदू ही था. बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज को डिज़ाइन करने वाले डिज़ाइनर और वेक्सिलोग्राफर शिब नारायण दास थे.

शिब नारायण दास पहले एक छात्र नेता थे और बाद में उन्होंने एक डिज़ाइनर और वेक्सिलोग्राफर के रूप में अपनी पहचान बनाई. बांग्लादेश का झंडा जिसे हम आज देखते हैं, जिसमें हरे रंग की पृष्ठभूमि पर लाल रंग का एक बड़ा गोलाकार प्रतीक है, शिब नारायण दास द्वारा डिज़ाइन किया गया था.

साल 1972 में जब उन्होंने यह झंडा बनाया था, तो इसमें लाल घेरे में बांग्लादेश का पीला नक्शा बना हुआ था. जिसे बाद में हटा दिया गया क्योंकि झंडे के दोनों तरफ एक जैसा दिखना एक मुश्किल काम था. इसका मतलब यह है कि कट्टरपंथी लोग हिंदुओं के योगदान को भूल गए हैं, जिन्होंने इस देश को पहचान दी और आज वे बांग्लादेश में उनकी हत्या कर रहे हैं. यह अपने आप में शर्मनाक है.

आखिर बंग्लादेश में क्यों बनी ऐसी स्थिति?

बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर कई दिनों से छात्रों द्वारा उग्र प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसे शेख हसीना नजरअंदाज कर रही थीं. छात्रों की मांग थी कि मुक्ति संग्राम में विवादास्पद कोटा प्रणाली को ख़त्म किया जाए. अब यह मुक्ति संग्राम क्या है?  मुक्ति संग्राम यानी पाकिस्तान से जब 1971 में पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश का निर्माण हुआ और उस काल को मुक्ति संग्राम कहा जाता है.

मुक्ति संग्राम में मारे गए लोगों के परिवारों को नौकरियों में 30 प्रतिशत की छूट दी जा रही थी. छात्रों की मांग है कि इसे खत्म किया जाए. छात्रों की मांग पर इसे ख़त्म कर दिया गया था लेकिन हाई कोर्ट ने इसे बहाल कर दिया, जिसके बाद विरोध तेज़ हो गया. प्रदर्शन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया और इसे 30 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया. इसके बाद भी प्रदर्शनकारी नहीं रुके.

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