सावन का पहला प्रोदोष व्रत जिसे गुरु कृष्ण प्रदोष व्रत भी कहा जाता है, गुरुवार, 1 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। ड्रिक पंचांग के अनुसार, शुभ समय इस प्रकार हैं-
-प्रदोष पूजा मुहूर्त- 18:43 से 21:01 तक
-अवधि – 02 घंटे 18 मिनट
-दिन प्रदोष काल – 18:43 से 21:01 तक
-त्रयोदशी तिथि आरंभ – 01 अगस्त 2024 को 15:28 बजे से
-त्रयोदशी तिथि समाप्त – 02 अगस्त 2024 को 15:26 बजे तक
सावन प्रदोष व्रत 2024 का महत्व
हर एक प्रदोष व्रत का अपना महत्व होता है और यह आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। विशेष रूप से सावन के महीने में दो प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा करने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से स्थायी सुख की प्राप्ति होती है। यह पवित्र व्रत आपको अपने आंतरिक स्व से जोड़ता है, खुशी और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। यह आत्मा को तृप्ति की भावना प्रदान करता है और इसे पिछली गलतियों के लिए क्षमा मांगने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है। इसके अतिरिक्त, इस व्रत का पालन करने से आपको भविष्य की चुनौतियों का अधिक आसानी और लचीलेपन के साथ सामना करने में मदद मिलती है।
-भक्त अपने दिन की शुरुआत सुबह स्नान से करते हैं।
-इसके बाद भगवान शिव परिवार की एक प्रतिमा रखें और शुद्ध गाय के देसी घी का दीपक जलाएं ।
-फूल, माला, घर की बनी मिठाई और सूखे मेवे चढ़ाएं।
– प्रदोष पूजा गौधूलि काल के दौरान की जाती है।
– फिर आप प्रदोष व्रत कथा पढ़ें और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करते हैं।
-भोग प्रसाद और सात्विक भोजन अर्पित किया जाता है।
-आरती संपन्न होने के बाद भोग प्रसाद परिवार के सदस्यों में वितरित करें।
– प्रदोष के दिन सात्विक भोजन करते।
-इस दिन प्याज, लहसुन, अंडे, मांस और शराब का सेवन सख्त वर्जित है।