कामिका एकादशी आज, भगवान विष्णु को अर्पित करें ये फूल, इस कथा के पाठ से होंगी मनोकामनाएं पूरी

कामिका एकादशी आज, भगवान विष्णु को अर्पित करें ये फूल, इस कथा के पाठ से होंगी मनोकामनाएं पूरी

कामिका एकादशी का व्रत रखने के दिन एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़ना और सुनना चाहिए. इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता हैं. आइए कामिका एकादशी की व्रत कथा जानते हैं.

: सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस साल 31 जुलाई 2024 यानि आज कामिका एकादशी है. धार्मिक मत है कि इस व्रत को करने से जातक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है. यह विशेष दिन श्रीहरि विष्णुजी को समर्पित माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है. कहा जाता है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने से साधक पर विष्णुजी की कृपा बनी रहती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं कामिका एकादशी पर कैसे करें पूजा, व्रत, कथा और कौन सा फूल करें अर्पित.
व्रत पारण का समय– 01 अगस्त को सुबह 05 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 24 मिनट तक

कामिका एकादशी के नियम

कामिका एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए.

कमल का फूल करेगा मनोकामनाएं पूरी

अगर आप जीवन में खुशियों का आगमन चाहते हैं, तो कामिका एकादशी पर श्री हरि को कमल के फूल चढ़ाएं. ऐसा करने से जातक का जीवन खुशियों से भरा रहेगा और सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.

गेंदे के फूल देगा शुभ फल 

सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु को गेंदे के फूल अर्पित करें. इससे जातक को पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है और श्री हरि प्रसन्न होते हैं.

कदंब का फूल दिलाएगा कष्टों से छुटकारा

कामिका एकादशी की पूजा में कदंब का फूल शामिल करने से इंसान को यमलोक के कष्टों से छुटकारा मिलता है और दांपत्य जीवन सुखी रहता है.

कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु को लाल गुलाब का फूल भी चढ़ा सकते हैं. मान्यता के अनुसार, गुलाब का फूल अर्पित करने से इंसान के बिगड़े काम पूरे होने लगते हैं और घर में धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है.

पूजन विधि

कामिका एकादशी के दिन सवेरे-सवेरे भगवान कृष्ण की आराधना करें. पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं. भगवान कृष्ण का ध्यान करें. उनके मंत्रों का जप करें. शिवजी को जल अर्पित करें. फिर शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पूर्ण रूप से जलीय आहार लें या फलाहार लें. अगर भोजन ग्रहण करना ही है तो सात्विक भोजन ही ग्रहण करें. मन को ईश्वर में लगाएं. क्रोध न करें.

व्रत न रख पाएं तो यें करें

यदि आप कामिका एकादशी का व्रत नहीं रख रहे हैं तो कुछ खास नियमों का पालन जरूर करें. इस दिन अन्न और भारी भोजन खाने से परहेज करें. ज्यादा से ज्यादा समय ईश्वर की उपासना में लगाएं. सच्ची श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ भक्ति करने पर आपको भी समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिल सकता है.

कामिका एकादशी की व्रत कथा 

एक गांव में क्रोधी स्वभाव के ठाकुर जी रहते थे. एक दिन उनका एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और उन्होंने क्रोध में आकर ब्राह्मण की हत्या कर दी. पाप का प्रायश्चित करने के लिए ब्राह्मण का अंतिम संस्कार करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन ब्राह्मणों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. ठाकुर पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया. एक दिन ठाकुर ने एक मुनि से ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति का उपाय पूछा. तब मुनि ने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए कामिका एकादशी व्रत रखने की सलाह दी. उन्होंने बताया कि विधिपूर्वक इस व्रत को रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. ठाकुर ने मुनि के बताए अनुसार कामिका एकादशी व्रत रखा और भगवान विष्ण की विधि-विधान से पूजा की. भगवान श्रीहरि ने स्वप्न में ठाकुर को दर्शन दिए और उसे ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति प्रदान की. मान्यता है कि जो व्यक्ति कामिका एकादशी व्रत कथा सुनता है भगवान उसे सभी पापों से मुक्ति दिलाते हैं.

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