फ्रूट जूस के नाम पर लोग चीनी का घोल पी रहे. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं. यह दावा है भारत की सबसे पुरानी और सबसे विश्वसनीय हेल्थ रिसर्च बॉडी इंडियन काउंसिंल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)का.
ICMR ने कहा है कि अगर हम पैकेज्ड फूड के लेबल देखकर इनका सेवन कर रहे हैं तो अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. क्योंकि पैकेज्ड फूड के लेबल भ्रामक या गलत हो सकते हैं. रियल फ्रूट जूस बताकर बेचे जा रहे जूस के पैकेट में सेब, अनार और चुकंदर का रस नहीं है, बल्कि ढेर सारी चीनी घोली गई है. इन फलों का आर्टिफिशियल फ्लेवर मिलाया गया है. तभी ये फलों के मुकाबले इतने सस्ते भी हैं और इतने मीठे भी.
शुगर-फ्री टैग है सिर्फ धोखा
ICMR के मुताबिक, शुगर-फ्री टैग के साथ बिक रहे फूड आइटम्स भी हमारे साथ धोखा है. इनमें रिफाइंड फैट, प्योरीफाइड आर्टिफिशियल न्यूट्रिएंट्स और यहां तक कि शुगर भी मिला हो सकता है. यानी बाजार से जो चीजें हम यह सोचकर खरीदकर ला रहे हैं कि इससे हमारी सेहत को फायदा होगा, वो दरअसल हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं.
सिर्फ 10% ही होता फ्रूट पल्प
बाजार में मिल रहे रियल फ्रूट जूस असल में फलों का रस नहीं है. ICMR के मुताबिक, इसमें बमुश्किल 10% ही फ्रूट पल्प होता है. बाकी 90% हिस्सा कॉर्न सिरप, फ्रुक्टोज या अन्य शुगर प्रोडक्ट्स से बना हो सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक बहुत संभव है कि बाकी 90% हिस्से में खास फल का स्वाद देने के लिए आर्टिफिशियल टेस्ट मिलाए गए हों.
हार्ट फ्रेंडली ऑयल के भ्रामक दावे
ICMR की एडवाइजरी के मुताबिक, नो कोलेस्ट्रॉल या हार्ट फ्रेंडली के टैग के साथ बिक रहे ऑयल भ्रामक हो सकते हैं क्योंकि प्लांट बेस्ड ऑयल में भले ही कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है, इसके बावजूद ये 100% फैट हैं और इन्हें हार्ट फ्रेंडली मानकर इस्तेमाल किया जाए तो यह खतरनाक साबित हो सकता है. शरीर के लिए फैट जरूरी है. अगर यह सैचुरेटेड फैट या ट्रांस फैट नहीं है तो सेहत के लिए बुरा नहीं है.
नेचुरल कहकर बेचा जा रहा
Disclaimer: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.