अगर आपका बच्चा बार-बार बीमार तो इसके पीछे वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु दोष बच्चे की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ ऐसे वास्तुदोषों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
उत्तर-पूर्व दिशा में टॉयलेट
वास्तु के अनुसार, घर में उत्तर-पूर्व दिशा में टॉयलेट होना अच्छा नहीं माना जाता है। इसका घर के सदस्यों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। अगर आपके घर में बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं और उत्तर-पूर्व दिशा में टॉयलेट है, तो इसकी निगेटिविटी को दूर करने के लिए उपाय करना चाहिए। आप टॉयलेट में कच्चा नमक या फिर सी सॉल्ट रख सकते हैं। अगर आपके पास सी-सॉल्ट नहीं है, तो आप टॉयलेट में फिटकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बच्चों के लिए पश्चिम दिशा लाभकारी मानी जाती है। यदि इस दिशा में गंदगी या टूटा-फूटा सामान होता है। जिसका असर बच्चे पर बुरा असर होता है। इस दिशा में बच्चे सोते हैं और पुराने व बेकार सामान की वजह से बच्चे बीमार पड़ सकती हैं। वहीं करियर के लिहाज से पूर्व दिशा काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए पूर्व दिशा का भी ख्याल रखना चाहिए। कोशिश करें कि पूर्व दिशा में ऐसी कोई वस्तु न रखें, जिससे बुरी स्मेल आती हो।
लोहे का बेड
बच्चे की सेहत हमेशा अच्छा रहे, इसलिए आपको बच्चे के बेड का भी ख्याल रखना चाहिए। बच्चों के लिए कभी भी लोहे के बेड का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योंकि लोहे के बेड पर सोने से वह बार-बार बीमार रहने लगता है। बच्चों के लिए लकड़ी का बेड सबसे अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही बच्चे के बेड पर ब्लैक कलर की चादर न बिछाएं। क्योंकि ब्लैक कलर बच्चे की एनर्जी को ड्रेन आउट करता है। इसके अलावा बच्चों के बेड पर सक पशु के डिजाइन की बेडशीट नहीं बिछाएं।
पश्चिम दिशा की दीवार तस्वीर
पेरेंट्स बच्चों की तस्वीर को उनके कमरे में लगाते हैं या फिर बच्चों की अलग-अलग तस्वीरों का कोलार्ज बनाकर कमरे में लगाते हैं। अगर आपने भी अपने बच्चों की ऐसी ही तस्वीरें बनाई हैं, तो कोशिश करें कि आप उस तस्वीरों को कमरे की पश्चिम दिशा की दीवारों पर लगाएं। ऐसा करने से बच्चे के कमरे में पॉजिटिविटी आती है, साथ ही इसका उनकी सेहत पर भी अच्छा असर पड़ता है।