लखनऊ/आगरा, 27 जुलाई। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार प्रदेश में गुड गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास कर रही है। प्रदेश में अपराध के खिलाफ स्पष्ट जीरो टॉलरेंस की नीति है, ऐसे में प्रदेश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखकर सीएम योगी के विजन में एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है। अब इसी कार्ययोजना पर कार्य करते हुए आगरा में नई कमिश्नरेट बिल्डिंग व जीआरपी लाइन में रेजिडेंशियल तथा नॉन रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स के निर्माण की परियोजना को गति दी जा रही है। सीएम योगी की मंशा अनुरूप नियोजन विभाग द्वारा इन दोनों कार्यों को करने के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सल्टेंसी एजेंसी की नियुक्ति और कार्यावंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि आगरा में नई कमिश्नरेट बिल्डिंग को 65 करोड़ की लागत से पूरा किया जाएगा और इसे विभिन्न प्रकार की आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जाएगा। इन सुविधाओं में सर्विलांस व वीडियो मॉनिटरिंग के लिए एडवांस्ड डेडिकेटेड वॉर रूम भी शामिल होगा जहां से पूरे आगरा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों की जरूरत अनुसार सर्विलांस व मॉनिटरिंग प्रक्रिया को पूरा किया जा सकेगा। जबकि, 55 करोड़ रुपए की लागत से जीआरपी लाइन में बनने वाली रेजिडेंशियल व नॉन रेजिडेंशियल इमारतों को भी फ्यूचरिस्टिक डिजाइन व एडवांस्ड सिविक एमिनिटीज युक्त किया जाएगा।
ईपीसी मोड पर होंगे सभी निर्माण कार्य, 75 दिन में बनेगी डीपीआर
सीएम योगी के विजन अनुसार, आगरा में नई कमिश्नरेट बिल्डिंग व जीआरपी लाइन में होने वाले सभी निर्माण व विकास कार्यों को इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड में किया जाएगा। नई कमिश्नरेट बिल्डिंग के सभी निर्माण व विकास कार्यों को पीएमसी एजेंसी के निर्धारण व कार्यावंटन के बाद 18 महीनों की समयावधि में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है। इस क्रम में, एजेंसी द्वारा पहले 75 दिनों में आर्किटेक्चरल डिजाइन व डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसे स्वीकृति मिलने पर आगे निर्माण कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इस दौरान 36 महीने का डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड भी पीएमसी एजेंसी को सर्व करना होगा। वहीं, जीआरपी लाइन के 2.12 एकड़ क्षेत्र में बनने वाले रेजिडेंशियल व नॉन रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स के निर्माण व विकास के लिए एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन के बाद 18 महीने में पूरा किया जाएगा। यहां भी एजेंसी को पहले 75 दिनों में आर्किटेक्चरल डिजाइन व डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करना होगा। वहीं, इस परियोजना के लिए भी डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड को 36 महीने रखा गया है। माना जा रहा है कि अगस्त माह में एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी जिसके बाद इन दोनों ही परियोजनाओं पर तेजी से कार्य होने का मार्ग प्रशस्त होगा।
लेटेस्ट इनोवेशन टेक्नोलॉजी का किया जाएगा निर्माण कार्यों में इस्तेमाल
परियोजना के अंतर्गत, सभी निर्माण कार्यों को एनर्जी कन्जर्वेशन बिल्डिंग कोड का अनुपालन कर पूर्ण किया जाएगा। इन निर्माण कार्यों में बिल्डिंग मटीरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल के मानकों के अनुरूप लेटेस्ट इनोवेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इन इमारतों को ऑटोमैटिक फायर फाइटिंग व फायर अलार्म सिस्टम, सोलर वॉटर हीटर्स, सीसीटीवी, लिफ्ट्स, डीजी सेट्स, इलेक्ट्रिक सब स्टेशन तथा सोलर पावर जेनरेशन यूनिट से युक्त किया जाएगा। वैसे इन कार्यों को पूरा करने के पहले निर्धारित पीएमसी एजेंसी द्वारा डीटेल्ड मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा जो कि आर्किटेक्चरल डिजाइन, कॉन्सेप्ट प्लान, 3डी व्यू तथा एनिमेटेड वॉक थ्रू मॉडल बेस्ड होगा। इस पर स्वीकृति होने के बाद ही निर्माण कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। सभी निर्माण कार्यों को पर्यावरण अनुकूल रखते हुए ध्वनि व वायु प्रदूषण के स्तर को सीमित रखने के लिए भी मॉनिटरिंग की जाएगी।
नई कमिश्नरेट बिल्डिंग में हॉस्पिटल का भी होगा प्रावधान
कार्ययोजना के अनुसार, नई कमिश्नरेट बिल्डिंग में एक फंक्शन मेडिकल यूनिट भी होगा जो कि अस्पताल की तरह कार्य कर सकेगा। इसमें ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू व सीसीयू यूनिट्स भी शामिल होंगे। हॉस्पिटल को मेडिकल गैस, कंप्रेस्ट एयर व स्टीम पीएनजी सप्लाई सिस्टम से लैस किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यहां एक बल्क स्टोरेज सिस्टम, सेंट्रलाइज्ड किचन तथा हॉस्पिटल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम से युक्त किया जाएगा। कुल मिलाकर, नई कमिश्नरेट बिल्डिंग स्टेट ऑफ द आर्ट फैसिलिटी के तौर पर विकसित होगी जोकि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए निर्मित की जाएगी। वहीं, जीआरपी की रेजिडेंशियल व नॉन रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स भी फ्यूचरिस्टिक डिजाइन व टेक्नोलॉजी के हिसाब से निर्मित व विकसित किया जाएगा।