अभय देओल जल्द ही सामाजिक तौर पर क्वीर के तौर पर पहचान रखने वाले डायरेक्टर फराज आरिफ अंसारी की फिल्म ‘बन टिक्की’ (Bun Tikki) में नजर आएंगे. इस फिल्म से अभय देओल एक्टिंग में अपना कमबैक कर रहे हैं. अभय देओल से जब पूछा गया कि वह सेक्सुएलिटी को किस तरह देखते हैं? तो उन्होंने जवाब दिया, “एक स्पेक्ट्रम के रूप में, मैं सेक्सुएलिटी की पहचान करने के पश्चिमी तरीके को खारिज करता हूं क्योंकि यह बहुत ही ब्लैक एंड व्हाइट टाइप का है. पूर्वी दृष्टिकोण बहुत अलग है, यह हम सभी को पहचानता है. मैं अपनी सेक्सुएलिटी को परिभाषित नहीं करता, और यह विवादास्पद लग सकता है लेकिन मेरे लिए यह ऐसी चीज़ नहीं है जिसे मैं परिभाषित कर सकता हूं.”
हमारे अंदर पुरुष-महिला दोनों के गुण होते हैं
अभय ने यह भी कहा कि, वेस्टर्न कल्चर के मुताबिक, पुरुष वे कहलाते हैं जो कि गलत है. मुझे लगता है कि यह दूसरे व्यक्ति की सुविधा के लिए है, ताकि वे आपको एक बॉक्स में रख सकें, आपको बड़े करीने से रख सकें. मुझे खुद को पश्चिमी शब्दों में क्यों परिभाषित करना चाहिए? मैंने अपने जीवन में सभी अनुभवों को अपनाया है और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा. मुझे नहीं पता कि इसे कैसे लेबल किया जाए, मैं इसे लेबल नहीं करना चाहता. हम सभी के अंदर एक पुरुषत्व और एक स्त्रीत्व है, इसलिए मेरी राय में हम सभी वे हैं.”
महिलाओं को जिम्मेदारी संभालने दें
उसी इंटरव्यू में, अभय ने बताया कि वह मर्दानगी को लोगों को सुरक्षित और शामिल महसूस कराने की क्षमता के रूप में कैसे देखते हैं. एक पुरुष के रूप में, उन्होंने कहा कि वह एक ‘रक्षक और प्रदाता’ की तरह महसूस करते हैं. ऐसा कहने के बाद, अभिनेता ने स्वीकार किया कि वह ‘अगर कोई महिला खुद जिम्मेदारी लेना और नेतृत्व करना चाहती है, तो वह खुशी-खुशी अपनी जिम्मेदारी संभालने और नेतृत्व करने की भावना को त्याग देंगे.’
मैं छिपा हुआ नहीं हूं
अभय देओल ने यह भी कहा कि वो दुनिया से छिपे हुए नहीं हैं, बल्कि अपना ज़्यादातर समय अपने गोवा वाले घर पर बिताते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले नौ सालों में, वह लॉस एंजिल्स में भी बहुत समय बिता रहे हैं, जो अच्छा है क्योंकि वह ‘वहां गुमनाम’ हैं.