रांची : “सेव शिखरजी” (शिखरजी बचाओ) जैन तीर्थ ‘शिखरजी’, जो पारसनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, की पवित्रता की रक्षा के लिए जैनियों का संयुक्त प्रयास है. इस अभियान को ‘ज्योत’ नामक लाभ-निरपेक्ष संगठन ने आयोजित किया है जो जैनाचार्य श्रीमद विजय युगभूषण सूरीजी (पंडित महाराज) के मंगल मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है। एक महीने पहले शुरू हुआ यह आन्दोलन पूरे विश्व में समस्त जैन समुदाय को जाग्रत कर चुका है। दुनिया भर में विस्तृत जैन समुदाय के लोग इस लक्ष्य के प्रति एकजुट हुए हैं, क्यों कि जैन धर्म के सभी चार पंथों – श्वेताम्बर, दिगंबर, तेरापंथी और स्थानकवासी– के प्रमुख संत एकजुट हैं।
शिखरजी गिरीराज २० तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि होने के कारण जैनों का पूजा स्थल और आस्था का शीर्ष प्रतीक है। अन्य अनगिनत मुनियों- महंतों ने पहाड पर साधना करके मोक्ष प्राप्त किया है। उनकी विशुद्ध आत्माओं और उनकी अतुलनीय संकल्प- शक्तिओं से इस पावन पहाड़ी के कण कण में आध्यात्मिक स्पंदन प्रवाहित हुआ है। अतः केवल मंदिर क्षेत्र ही नहीं संपूर्ण पहाड और उसका कण-कण पवित्र एवं पूजनीय है। अब ऐसी पवित्र भूमि का पुनः निर्माण असंभव है। इस अभियान के विषय में आचार्य जी ने कहा कि, समृद्ध धर्म और सांस्कृतिक धरोहर ही भारत को बाकी संसार से अलग करती हैं। शिखरजी जैसे महातीर्थ धार्मिक रूप से भारत की आध्यात्मिक संपदा का प्रतीक हैं। ऐसे स्थलों की शुद्धता को बाधित करना हमारे राष्ट्र के गौरव के साथ खिलवाड़ करने से कम नहीं है।
सीएम से मिले केन्द्रीय मंत्री डा. वीरेन्द्र कुमार
इस बीच, केन्द्रीय महिला विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री डा. वीरेन्द्र कुमार तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सुनील सिंधी ने कहा है कि शिखर पारसनाथ की पवित्रता किसी भी हालत में प्रभावित नहीं होगी। ऐसा कुछ नहीं होगा जिससे कि जैन धर्मावलंबियों की भावना आहत हो। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात के बाद डा. कुमार और सुनील सिंधी पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सम्मेद शिखर के विकास को लेकर पूरे देश में भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। पर्यटन के विकास की बात को गलत तरीके से परोसा जा रहा है, जिससे लोग गुमराह हो रहे हैं। पूरे देश के जैन धर्मावलंबियों के शिष्टमंडल ने भी मुख्यमंत्री से इस मामले पर मुलाकात की है।
शिखरजी की पवित्रता पर कोई आंच नहीं आने देगी झारखण्ड सरकार
रांची : कुछ समाचार पत्रों से इस प्रकार के भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है कि जैन धर्मावलंबियों के पवित्र धार्मिक स्थल श्री पारसनाथ जी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर पारसनाथ जी की पवित्रता में हस्तक्षेप की कोशिश हो रही है। झारखण्ड सरकार यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि सदियों पुराने शिखर जी पर्वत की पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु सरकार प्रतिबद्ध है। किसी प्रकार से इसकी पवित्रता को प्रभावित करने का न तो सरकार का कोई निर्णय है और न ही कोई परियोजना है। जैन श्रद्धालुओं की सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए, जैन समुदाय के सोच, आस्था और विश्वास के अनुसार ही सुविधाएं प्रदान करने की योजना है। राज्य सरकार शिखर जी की पवित्रता पर किसी प्रकार की आंच नहीं आने देगी।