आज सावन का पहला सोमवार है, सावन का महीना शिव जी को समर्पित होता है। इस महीने में शिव भक्त सोमवार को भगवान शिव-पार्वती की आराधना करते हैं, तो आइए इस पवित्र अवसर पर हम आपको सावन के सोमवार का महत्व तथा पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें सावन के पहले सोमवार का पूजा मुहूर्त
पंडितों के अनुसार सावन के पहले सोमवार पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग आज सुबह 05:37 से प्रारंभ होकर रात 10:21 तक है। वहीं प्रीति योग आज प्रात:काल से लेकर शाम 05:58 तक है।
पंडितों के अनुसार आप सावन सोमवार का व्रत रखते हैं तो आपको फलाहार में नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्वास्थ्य कारणों से बहुत जरुरी है तो सेंधा नमक खा सकते हैं। सावन में शिवजी का कच्चे दूध से अभिषेक किया जाता है, इसलिए सावन का सोमवार रखने वाले को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। इस व्रत में तामसिक वस्तुओं का उपयोग न करें। लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा, मसालेदार भोजन, बैंगन, मैदा, आटा, बेसन, सत्तू आदि से बनी खाद्य पदार्थों का उपयोग न करें। सावन के सोमवार व्रत में काम, क्रोध, लोभ जैसे दुर्गुणों से दूर रहें। कोई भी व्रत मन, कर्म और वचन की पवित्रता के साथ करने से ही फलित होता है। मन में द्वेष, क्रोध, चोरी, छल-कपट आदि की भावनाएं रखकर पूजा पाठ नहीं करना चाहिए। शिव पूजा में जिन वस्तुओं को वर्जित किया गया है, उनका उपयोग भूलवश भी न करें। शिव पूजा में तुलसी के पत्ते, सिंदूर, हल्दी, शंख, नारियल आदि जैसी वस्तुओं का उपयोग वर्जित है।
सावन के सोमवार का महत्व
शास्त्रों के अनुसार सावन का महीना शंकर जी को बहुत प्रिय होता है। पंडितों के अनुसार जो भी भक्त श्रद्धा से सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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घर में पति-पत्नी के बीच तनाव रहता है तो आप परेशान न हो। सावन के सोमवार को पति-पत्नी साथ में मिलकर पूरे सावन महीने में पंचामृत से भगवान शिव शंकर का अभिषेक करें। सावन के सोमवार के दिन विशेष पूजा करें। साथ ही ॐ पार्वती पतये नमः मंत्र का रुद्राक्ष की माला पर 108 बार जाप करें। इसके अलावा घर के पास भगवान शिव के मंदिर में शाम को गाय के घी का दीया जलाएं।
सोमवार की पूजा में करें इन सामग्रियों का इस्तेमाल
शिव पूजा के लिए गंगाजल, फूल, चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, धूप, दीप, गंध, गाय का कच्च दूध, शहद, शमी के पत्ते, आक के फूल, मौसमी फल, शक्कर, गाय का घी, कपूर, रक्षासूत्र, वस्त्र, यज्ञोपवीत, इत्र, लौंग, इलायची, केसर, पान, सुपारी आदि की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा शिव चालीसा, शिव आरती और सोमवार व्रत कथा की पुस्तक की जरूरत होगी। शिव जी की पूजा में सिंदूर, हल्दी, शंख, तुलसी के पत्ते, नारियल, केतकी के फूल आदि का उपयोग वर्जित है।
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सोमवार के दिन ऐसे करें पूजा
प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहन लें। पूजन सामग्री के साथ पूजा घर या शिव मंदिर जाएं। फिर सबसे पहले शिव जी का जल से अभिषेक करें। उसके बाद उनको चंदन, अक्षत्, बेलपत्र समेत सभी पूजन सामग्री एक-एक करके अर्पित करें। उस दौरान शिव मंत्र का उच्चारण करते रहें। सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें। फिर शिव जी को प्रणाम करके एक स्थान पर बैठ जाएं। उसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें। फिर सोमवार की व्रत कथा पढ़ें। उसके समापन पर घी का दीपक जलाएं या कपूर जलाकर शिव जी की आरती करें। सबसे अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें। उसके बाद मनोकामना पूर्ति के लिए निवेदन करें।
सोमवार की पूजा में इन बातों का रखें ख्याल
पंडितों के अनुसार सावन का महीना बहुत खास होता है और सोमवार का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन इन बातों का विशेष ध्यान दें। सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने वालों को पूजा करते समय तुलसी और केतकी के फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही भक्तों को दूध का सेवन त्याग देना चाहिए। सावन में भगवान शिव को दूध चढ़ाकर पूजा की जाती है इसलिए दूध का सेवन करने से बचें। कभी भी शिवलिंग पर हल्दी तथा कुमकुम न चढ़ाएं और नारियल पानी से शिव जी को स्नान न कराएं। इसके अलावा शिव जी का जलाभिषेक करते समय कांस्य तथा पीतल के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए।