भद्राकाल क्या होता है, इसका मतलब क्या होता है, जानें शनिदेव की बहन से जुड़ी यह कहानी

आपने कई बार सुना होगा कि भद्रकाल का चल रहा हैं। ऐसे में कोई शुभ कार्य नहीं होंगे। अक्सर भद्रकाल रक्षाबंधन और दीवाली जैसे कई व्रत-त्योहारों पर भी भद्राकाल के दौरान राखी या पूजा न करने का नियम होता है। अब कई बार सवाल भी उठता है कि आखिर भद्रकाल होता क्या है? और भद्रकाल में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही क्यों होती है? आइए जानते हैं भद्रकाल का अर्थ क्या है और इस दौरान शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते।

 

भद्रा का मतलब है शुभ कार्य

 

हिंदू पंचांग में प्रमुख अंगों को समझना बहुत जरुरी है। पंचांग के 5 प्रमुख अंग होते हैं। ये प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। भद्रा भी पंचांग से जुड़ा है। भद्रा का शाब्दिक का अर्थ समझें, तो इसका अर्थ कल्याण करने वाला होता है। हालांकि नाम से विपरीच में भद्रकाल में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।

आखिर भद्रा कौन है

दरअसल, भद्रा का जन्म एक कन्या के रुप में हुआ था। पौराणिक मान्यता है कि भद्रा सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की पुत्री है। भद्रा शनिदेव की बहन है। भद्रा का स्वभाव भी शनिदेव की तरह ही क्रोधी है। हालांकि, भद्रा का जन्म रक्षसों के संहार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए हुआ था लेकिन भद्रा का जन्म लेते ही देवताओं के शुभ कार्यों में बाधा उत्पन्न करने लगीं। इस कारण देवतागण दुखी होकर ब्रह्माजी के पास पहुंचे, ब्रह्माजी जी को संसार का रचयिता माना जाता है।

भद्रा को रोकने के लिए आखिर ब्रह्मा जी ने क्या किया

जब देवतागण ब्रह्माजी के पास पहुंचे तो उन्होंने भद्रा को रोकने के लिए उससे कहा कि भद्रा तुम हमेशा मनुष्यों को परेशान नहीं कर सकती बल्कि तुम्हें कुछ विशेष स्थितियों में ही मनुष्यों, देवताओं या राक्षसों को पीड़ा पहुंचाने का अधिकार होगा। आगे ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा- तुम बव, बालव, कौलव करणों में निवास करो और वहीं, जो लोग तुम्हारा आदर न करे, तुम उनके कामों में बाधा पहुंचा सकती हो लेकिन तुम हमेशा सभी के कार्य को नहीं रोक सकती।

क्या है भद्रकाल और मनुष्यों को कब नुकसान पहुंचता है

 

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का निवास धरती पर होता है और  भद्रा यहां मनुष्यों को नुकसान पहुंचाती है। वहीं भद्रा अलग-अगल राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। पृथ्वी पर जब भद्रा निवास करती है, तो सभी तरह के शुभ कार्य करने की मनाही होती है।

 

पौराणिक मान्यता है कि  भद्राकाल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दौरान विवाह मुहूर्त, नया व्यापार, रक्षाबंधन आदि त्योहारों की मुख्य पूजा नहीं की जाती है लेकिन भद्राकाल में पूजा-पाठ और हवन किए जा सकते हैं।

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