नेदुम्परा राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर वकील के तौर पर पेश हुए….

 सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज अहम फैसला सुना सकता है. दरअसल, सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि इस पर दोबारा विचार किया जाए. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस.के. कौल की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा की इस दलील पर विचार किया कि संवैधानिक पीठ के फैसले पर फिर से विचार की मांग कर रही उनकी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. पीठ ने कहा था, हम जानते हैं कि 19 पुनर्विचार याचिकाएं लंबित हैं. हम कल तक फैसला करेंगे.

नेदुम्परा राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर वकील के तौर पर पेश हुए और मामले की जल्द सुनवाई का अनुरोध किया. पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने 4:1 के अनुपात से फैसला सुनाया था कि सबरीमला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए.

9 अक्टूबर को जल्द सुनवाई करने से इनकार किया था
बीते नौ अक्टूबर को न्यायालय ने नेदुम्परा की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था. पीठ ने कहा था कि दशहरा के अवकाश के बाद ही पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है और यह सुनवाई खुली अदालत में न होकर कक्ष में होगी. राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन के अलावा नायर सेवा समाज (एनएसएस) ने भी याचिका दायर कर शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले पर फिर से विचार की मांग की है.

मंदिर में महिलाओं को नहीं मिला प्रवेश
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सबरीमाला मंदिर के कपाट पिछले दिनों खोले गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने भले केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ कर दिया हो, लेकिन अब तक महिलाओं को मंदिर में प्रवेश मिल नहीं सका है. 5वें दिन भी महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकीं. रविवार को आंध्र प्रदेश की रहने वाली चार महिलाएं रविवार को भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए सबरीमाला मंदिर की ओर जा रही थीं कि तभी गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने उनका रास्ता रोका और उन्हें वापस लौटा दिया. सुबह 10 बजे एक पुरुष श्रद्धालु के साथ दो महिलाओं को प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा. श्रद्धालु पहाड़ी पर स्थित मंदिर के अपने सफर की शुरुआत करने के लिए मंदिर कस्बे के मुख्य मार्ग में प्रवेश करने के करीब थे कि तभी प्रदर्शनकारियों ने उन्हें घेर लिया. संकट बढ़ता देख पुलिस अधिकारियों ने दोनों महिलाओं के इर्द-गिर्द एक सुरक्षा घेरा बना लिया और वे उन्हें पांबा के पुलिस नियंत्रण कक्ष ले गए.

पुलिस महानिरीक्षक एस.श्रीजित ने संवाददाताओं को बताया कि दोनों महिलाओं का कहना है कि जब उन्होंने सुना कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी है, तो उन्होंने तीर्थयात्रा करने का फैसला किया. श्रीजित ने कहा, “ये महिलाएं आंध्र प्रदेश के तीर्थयात्रा समूह का हिस्सा हैं और केरल के विभिन्न मंदिरों की यात्रा कर रही हैं. जब उन्हें विरोध प्रदर्शन के बारे में बताया गया तो उन्होंने लौटने का फैसला किया और हमने उन्हें निलक्कल में खड़े वाहन तक पहुंचाया.”

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