देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट पर अब कोहरे के समय के विमानों की और सुरक्षित लैंडिंग हो सकेगी। एयरपोर्ट पर जल्द ही ऑटोमेटिक डिपेंडेंट सर्विलांस ब्रॉडकास्ट (एडीएसबी) सिस्टम लगाया जाएगा। इससे पायलेट और एटीसी के बीच सीधा संवाद हो सकेगा। इसके अलावा बड़े एयरपोर्ट की तर्ज पर देशभर में उड़ान भर रहे विमानों की लोकेशन इंदौर एयरपोर्ट पर दिख सकेगी।
इंदौर एयरपोर्ट पर वर्तमान एटीसी में अभी पुराने उपकरण लगे हुए हैं, जबकि अभी यहां पर एक ही यूनिट काम करती है। अधिकारी यहां पर यूनिट और उपकरण बढ़ाने में लगे हैं। अभी फोन की सहायता से इंदौर हवाई क्षेत्र में उड़ान भर रहे विमानों की जानकारी लेते हैं। जबकि 5 नॉटिकल माइल से अधिक दूरी के विमानों की जानकारी लेने के लिए इंदौर एटीसी द्वारा अभी अहमदाबाद एप्रोच कंट्रोल सेंटर से जानकारी ली जाती है।
अब एयरपोर्ट प्रबंधन ने यहां पर उपकरण बढ़ाने के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा है, जिसमें इंदौर में बढ़ते एयर ट्रैफिक को देखते हुए यहां पर अत्याधुनिक सिस्टम लगाने के लिए कहा गया है। अनुमति आते ही यहां पर ऑटोमेटिक डिपेंडेंट सर्विलांस ब्रॉडकास्ट (एडीएसबी) सिस्टम लगाया जाएगा।
ऐसे काम करता है एडीएसबी
एविएशन एक्सपर्टस के मुताबिक एडीएसबी सिस्टम में इलेक्ट्रोमैग्नेटिव वैव विमान से टकराती है और जीपीएस की सहायता से विमान की सही स्थिति एटीसी की स्क्रीन पर दिखने लगती है। इसके बाद विमान की सही तरीके से लैंडिंग भी हो जाती है। लैंडिंग और टेक ऑफ के समय में 7 से 10 मिनट की बचत हो जाती है। डीजीसीए ने भारतीय एयरपोर्ट पर लगे सिस्टम के साथ विमानों में भी एडीएबी सिस्टम लगाना अनिवार्य किया है। एडीएसबी सिस्टम काफी मंहगा आता है।
ज्यादा ऊंचाई पर उड़ते हैं यात्री विमान
एविएशन एक्सपर्टस के मुताबिक नियमानुसार यात्री विमान 25 हजार से 33 हजार फीट की ऊचांई पर उड़ान भरते हैं जबकि वायु सेना के विमान 10 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। चुंकि इन विमानों से हवाई हमले भी करना होते हैं, इसलिए सटीक निशाना लगाने के लिए सेना के विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं।
अनुमति मांगी है
हमने एडीएसबी उपकरण लगाने के लिए मुख्यालय को पत्र लिख दिया है। विमानों की आवाजाही बढ़ने पर हमें एटीसी को और मजबूत बनाना है।