पंजाब सरकार ने अमृतसर के पास शुक्रवार को हुए हादसे की शनिवार को एक मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया. इस हादसे में दशहरा कार्यक्रम में आये 59 लोग एक ट्रेन से कुचल गए थे. वहीं रेलवे ने अपनी ओर से किसी तरह की जांच से इनकार किया. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को कहा कि ट्रेन हादसे की एक मजिस्ट्रेटी जांच की जाएगी और रिपोर्ट चार सप्ताह में सौंपी जाएगी. मुख्यमंत्री ने इस्राइल की अपनी यात्रा स्थगित कर दी और क्षति का आकलन करने के लिए सुबह अमृतसर पहुंचे. सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम घटना की एक मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दे रहे हैं.’ इस हादसे में कई हृदय विदारक घटना देखने को मिली है.
हादसे में अपने 18 वर्षीय पुत्र मनीष को खोने वाले विजय कुमार ने कहा कि यह खौफनाक रात थी. यहां के निवासी विजय कुमार वह दृश्य याद कर अभी भी सिहर उठते हैं जब उन्होंने अपने 18 साल बेटे के कटे हुए सिर की फोटो अपने व्हाट्सऐप पर तड़के तीन बजे देखी. विजय के दो बेटों में से एक आशीष भी घटनास्थल पर था. उसकी जान बच गई लेकिन दूसरा बेटा मनीष उतना खुशकिस्मत नहीं निकला.
विजय को जब इस हादसे का पता चला तो वह अपने बेटे की तलाश में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे लेकिन कुछ पता नहीं चला. फिर अचानक उनके फोन के व्हाट्सएप पर एक फोटो आई जिसमें उनके बेटे का कटा हुआ सिर था. इस तलाश में उन्हें एक हाथ और एक पैर मिला लेकिन वह उनके बेटे का नहीं था. रूंधे गले से विजय बताते हैं, ‘मनीष नीली जींस पहने हुए था, यह पैर उसका नहीं हो सकता. मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई.’
इस ह्रदय विदारक घटना के समय वहां मौजूद रहीं सपना को सिर में चोट आई है. उन्होंने बताया कि वह रावण दहन का घटनाक्रम व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए अपने पति को दिखा रही थीं. जब पुतले में आग लगी तो लोग पीछे हटने लगे और पटरियों के करीब आ गये. जब ट्रेन करीब पहुंच रही थी तो लोग पटरी खाली करने लगे और दूसरी पटरी पर आ गये. इतने में एक और ट्रेन तेज गति से वहां आ गई और फिर भगदड़ मच गई.
सपना ने इस हादसे में अपनी रिश्ते की बहन और एक साल की भतीजी को खो दिया. वह बताती हैं कि अफरातफरी में लोग इधर उधर भागने लगे और बच्ची पत्थरों पर जा गिरी और उसकी मां को लोगों ने पैरों तले रौंद दिया.
उत्तर प्रदेश के हरदोई निवासी और दिहाड़ी मजदूर 40 साल के जगुनंदन को सिर और पैर में चोट आई है. उन्होंने बताया कि वह घटना के समय पटरियों पर नहीं थे लेकिन जब रावण जलने लगा तो आगे की तरफ मौजूद भीड़ पीछे हटने लगी और वह भी धक्का खाते हुए पीछे हो गए. क्षेत्र में ट्रेन यातायात प्रभावित हुआ है क्योंकि 37 रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया गया है और 16 रेलगाड़ियों का मार्ग बदला गया है.