कच्चे तेल की कीमतों में 4 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट से भारत को होगा फायदा

नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में 4 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की गिरावट आई है। अब यह चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। ऐसा ओपेक प्लस द्वारा इस वर्ष उत्पादन में वृद्धि की अनुमति देने के बाद हुआ है। अमेरिका में पहले से ही कच्चे तेल का भंडार काफी ज्यादा है।

अगस्त के लिए बेंचमार्क ब्रेंट ऑयल वायदा बुधवार को 77.50 डॉलर पर आ गया। डब्ल्यूटीआई (वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट) पर जुलाई के कच्चे तेल का वायदा 73.22 डॉलर पर था।

7 फरवरी के बाद पहली बार तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आई हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। देश अपनी जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है और तेल की कीमतों में गिरावट से देश के आयात बिल में कमी आएगी। इससे चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होगा और रुपया मजबूत होगा।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के दाम भी कम होते हैं, जिससे देश में मुद्रास्फीति में कमी आती है।

सरकार ने यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर पश्चिमी दबावों के बावजूद तेल कंपनियों को रियायती कीमतों पर रूस से कच्चा तेल खरीदने की अनुमति देकर देश के तेल आयात बिल को कम करने की कोशिश की है।

रूस अब भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। इसने इराक और सऊदी अरब की जगह ली, जो पहले शीर्ष स्थान पर थे।

आईसीआरए की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस से तेल आयात की कीमत वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 के 11 महीनों में खाड़ी देशों की तुलना में 6.4 प्रतिशत और 15.6 प्रतिशत कम थी।

रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखने की भारत की रणनीति के चलते वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों के दौरान देश के तेल आयात बिल में लगभग 7.9 बिलियन डॉलर की बचत हुई थी और देश को अपने चालू खाता घाटे को कम करने में भी मदद मिली।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com