नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी)। भारत ने हाल ही में आए विनाशकारी भूस्खलन से जूझ रहे पापुआ न्यू गिनी को 10 लाख अमेरिकी डॉलर की तत्काल राहत सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भरोसा दिलाते हुए कहा है कि भारत इस कठिन समय में संकटग्रस्त देश के साथ एकजुटता से खड़ा है। 24 मई को द्वीपीय देश पापुआ न्यू गिनी के एंगा प्रांत में एक बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोग दब गए। कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भूस्खलन में 2 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पीएम मोदी ने मंगलवार को इस आपदा पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा पापुआ न्यू गिनी में विनाशकारी भूस्खलन के कारण हुई जानमाल की हानि और क्षति से गहरा दुख हुआ। प्रभावित परिवारों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। भारत हर संभव समर्थन और सहायता देने के लिए तैयार है।
इससे पहले विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने द्वीपीय देश में भूस्खलन में हुई जनहानि पर सोमवार को शोक व्यक्त करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा हालिया भूस्खलन के बाद पापुआ न्यू गिनी में जानमाल के नुकसान से बहुत दुखी हूं। हमारी संवेदनाएं सरकार और लोगों के साथ हैं। भारत इस कठिन समय में अपने दोस्त के साथ एकजुटता से खड़ा है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (एफआईपीआईसी) के तहत एक करीबी दोस्त और भागीदार के रूप में और पापुआ न्यू गिनी के मैत्रीपूर्ण लोगों के साथ एकजुटता के संकेत के रूप में, भारत सरकार राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण प्रयासों का समर्थन करने के लिए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तत्काल राहत सहायता प्रदान करती है।
नवंबर 2019 में पीएम मोदी द्वारा घोषित भारत की इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (आईपीओआई) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन है। भारत इससे पहले भी प्राकृतिक आपदाओं के कारण मुसीबत में घिरे पापुआ न्यू गिनी के साथ डटकर खड़ा रहा है। भारत ने 2018 में आए भूकंप और 2019 तथा 2023 में हुए ज्वालामुखी विस्फोट के बाद द्वीपीय देश की काफी सहायता की थी।