संयोग : आज ही जन्मदिन भी था उनका
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे वरिष्ठ राजनेता नारायण दत्त तिवारी का गुरुवार को दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से मस्तिष्काघात (ब्रेन स्ट्रोक) के चलते अस्पताल में थे। खास बात यह है कि आज ही उनका जन्मदिन भी था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार एनडी तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा वह केन्द्र में वित्त एवं विदेश मंत्री भी रहे हैं। उन्हें 2007 में आन्ध्र प्रदेश का राज्यपाल भी बनाया गया था। हालांकि एक विवाद के चलते उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा। पहली बार 1976 में मुख्यमंत्री बने तिवारी को जीवन के आखिरी दौर में न्यायालय में अपने को पिता साबित करने के मामले का सामना करना पड़ा, जिसके चलते वह सुर्खियों में रहे। बाद में उन्होंने वादी रोहित को अपना पुत्र स्वीकार कर उसकी माता उज्जवला से विवाह किया।
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 18 अक्टूबर,1925 को नैनीताल जिले के बलूती गांव में हुआ था। उनके पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी थे। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर पूर्णानंद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। नारायण दत्त तिवारी की शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी, बरेली और नैनीताल में हुई। उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपने पिता की ही तरह भाग लिया। बाद में एनडी तिवारी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए किया। उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की। 1947 में आजादी के साल ही वह इस विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए। आजादी के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लिया। कांग्रेस की लहर होने के बावजूद वह चुनाव जीत गए और पहली विधानसभा के सदस्य के तौर पर सदन में पहुंच गए।