मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कभी कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का कार्यकर्ताओं के बीच दर्द छलकता नजर आया है। कार्यकर्ताओं के बीच वेदना प्रकट करते हुए दिग्विजय सिंह कहते हैं, ‘मेरे भाषण से कांग्रेस के वोट कटते हैं, इसलिए मैं रैलियों में नहीं जाता।’ सिंह ने यह बात विधायक जीतू पटवारी के भोपाल स्थित सरकारी निवास पर कार्यकर्ताओं से चलते-चलते हुई मुलाकात के दौरान कही। उनका ये कहते हुए एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
‘मेरे भाषण से कांग्रेस के वोट कटते हैं’
जानकारी के मुताबिक, दिग्विजय सिंह दो दिन पहले कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के घर पहुंचे थे और वहां से बाहर निकलते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से उनका सामना हो गया, जो उनके इंतजार में बाहर खड़े थे। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने साफ शब्दों में कार्यकर्ताओं से कहा, ‘देखते रह जाओगे। ऐसे सरकार नहीं बनेगी। जिसको टिकट मिले, चाहे दुश्मन को टिकट मिले, जिताओ।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा काम सिर्फ एक है- कोई प्रचार नहीं, कोई भाषण नहीं। मेरे भाषण देने से तो कांग्रेस के वोट कटते हैं इसलिए मैं कहीं जाता ही नहीं।’
तो क्या इस कारण छलका दर्द?
आपको याद हो तो, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भोपाल में हुए रोड शो और भेल दशहरा मैदान में हुई रैली स्थल पर दिग्विजय सिंह के कटआउट नदारक दिखाई दिए थे। जबकि पूरा शहर तमाम कांग्रेसी नेताओं की तस्वीरें और होर्डिंग्स से पटा पड़ा था। दिग्विजय सिंह की होर्डिंग नजर ना आने से पार्टी की आपसी गुटबाजी भी साफ नजर आई। ऐसे में इस पर खूब राजनीति भी हुई। हालांकि बाद में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उनसे माफी भी मांगी थी। जाहिर है कि इस घटना ने दिग्विजय सिंह को काफी आहत किया होगा। इस बीच पार्टी के ही कुछ अन्य नेता का मानना है कि दिग्विजय के खिलाफ कांग्रेस में ही साजिश हो रही है।
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ भाजपा द्वारा 2003 में मिस्टर बंटाधार का नारा दिया गया था। अभी भी भाजपा उनके कार्यकाल के दिनों को जनता को याद दिलाती रहती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर तमाम राष्ट्रीय नेता दिग्विजय सरकार के कार्यकाल की सड़क, बिजली की हालत को भाषण में बताकर जनता की यादों को ताजा करते रहते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस हाईकमान ने भी उन्हें एक रणनीति के तहत इस विधानसभा चुनाव में जनता के सामने जाने से रोका है और समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाकर रूठे हुए कांग्रेस नेताओं को मनाने व संगठन को सक्रिय करने की जिम्मेदारी दी है।