लखनऊ। माघ मास की पूर्णिमा तिथि को माघी पूर्णिमा कहते है इस वर्ष माघी पूर्णिमा 24 फरवरी को है माघ पूर्णिमा को स्नान, दान एवं यज्ञ का बड़ा महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवतागण गंगा स्नान के लिए तीर्थराज प्रयाग की धरा पर आते हैं। इसी दिन माघ स्नान का अन्तिम स्नान होता है और इसी के साथ कल्पवास समाप्त होता है। माघ माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 23 फरवरी को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट पर हो रहा है। साथ ही पूर्णिमा तिथि का समापन 24 फरवरी को शाम 05 बजकर 59 मिटन पर होगा। इस प्रकार उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 24 फरवरी, शनिवार के दिन को मान्य होगी। माघ पूर्णिमा पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही कुंभ राशि में सूर्य, शनि और बुद्ध का त्रिग्रही योग भी बन रहा है, जो इन तीन राशियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होने वाला है।
पदम् पुराण में माघ स्नान का महत्व बताते हुए महादेव ने कहा है कि चक्र तीर्थ में श्री हरि का और मथुरा में श्री कृष्ण का दर्शन करने से मनुष्य का जो फल मिलता है वहीं माघ मास में स्नान करने से फल मिलता है। माघ पूर्णिमा के दिन गंगातट या किसी तीर्थ स्नान के सरोवर या नदी तट पर स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गाय, तिल, गुड़, कपास, घी, लडडू , फल, अन्न एवं कम्बल के दान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। पितरों का श्राद्ध भी करना चाहिए। मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर प्रात काल स्नान करने से रोगों का नाश होता है. दान करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली तमाम बाधाएं दूर होती हैं. देवताओं का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है. माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.