काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की जलहरी चढ़ाने में हुए भ्रष्टाचार पर तीन लोगों के खिलाफ विशेष अदालत में मुकदमा दायर किया गया है। आरोपितों में पशुपति क्षेत्र विकास कोष के कार्यकारी प्रमुख डॉ. मिलन थापा, तत्कालीन कार्यकारी प्रमुख डॉ. प्रदीप ढकाल शामिल हैं।
जांच करने वाले अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग ने करीब डेढ़ किलोग्राम के सोने का भ्रष्टाचार होने की पुष्टि करते हुए इन लोगों को आरोपी बनाया है। तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के निर्देशन पर कोष के तत्कालीन सदस्य सचिव डॉ. प्रदीप ढकाल और तत्कालीन कोषाध्यक्ष डॉ. मिलन थापा की समिति ने गर्भगृह में 100 करोड़ रुपये की लागत से करीब 103 किलोग्राम सोने में चांदी, तांबा और जिंक मिलाकर 107.924 किलो की जलहरी चढ़ाने का निर्णय लिया था। इसके लिए ओली सरकार ने 30 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।पशुपति क्षेत्र विकास कोष ने भी 50.11 करोड़ रुपये इस काम के लिए आवंटित किए थे।
आयोग की विज्ञप्ति में कहा गया है कि 103 किलोग्राम सोने की जलहरी बनाने का निर्णय होने के बावजूद उद्घाटन के दिन तक सिर्फ 96.822 किलो सोना रखे जाने का अभिलेख मिला है। हालांकि कोष ने उसी समय 11 किलो का सोने का रिंग बनाकर गर्भगृह में रखे जाने की जानकारी दी थी। आयोग ने बाद में पूरी जलहरी निकाल कर पुन: उसका तौल लिया तो 107.468 किलोग्राम सोना निकला। इस समय भी करीब आधा किलो सोना कम मिला। आयोग का दावा है कि इसमें भी करीब डेढ़ किलो दूसरी धातु मिलाकर तौल पूरा किया गया है। आयोग ने विशेष अदालत से इन तीनों से 2 करोड़ 34 लाख रुपये वसूलने और इनको सजा देने की मांग अदालत से की गई है।