गुर्जर आरक्षण आंदोलन समिति ने राजस्थान सरकार से लंबी चर्चा के बाद 23 मई को प्रस्तावित अपना आंदोलन वापस ले लिया है. दोनों पक्षों के बीच शनिवार को वार्ता के बाद 16 बातों पर समझौते हुए. इसके तुरंत बाद समिति के नेता रिटायर्ड कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने विरोध प्रदर्शन को वापस लेने की घोषणा की. राज्य के मंत्री राजेंद्र राठौर ने कहा कि गुर्जर नेताओं के साथ बातचीत 10 घंटे तक चली. यह दो हिस्सों में हुई.
उन्होंने कहा, ‘गुर्जरों की लंबित मांगों को एक तय समयसीमा के भीतर हल कर लिया जाएगा और इसका समय से निवारण सुनिश्चित किया जाएगा. अतिरिक्त मुख्य सचिव सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण जे. सी. मोहंती को नियमित अंतराल पर प्रक्रिया की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया है’
समिति के नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि सरकार ने समुदाय की मांग के अनुसार ओबीसी कोटा के उप-विभाजन के लिए अपनी सहमति दी है. उन्होंने कहा, ‘हम बीते 13 साल से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और इस बार आशावादी हैं कि हमारी मांगें पूरी हो जाएंगी. हालांकि, यदि समयसीमा के बाद वह हल नहीं होती है तो हम आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार का विरोध करेंगे.’
न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग राजस्थान व चार अन्य राज्यों-मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश- को इस मुद्दे पर चार जून को चर्चा के लिए आमंत्रित करेगा और अपनी रिपोर्ट जल्द जमा करेगा. इस आयोग का गठन केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी के वर्गीकरण के लिए किया गया था.
सरकार ने 9 दिसंबर, 2016 से 21 दिसंबर, 2017 तक सरकारी भर्तियों में एक फीसदी आरक्षण देने को अपनी सहमति दी थी. इसमें आंदोलन के दौरान गुर्जरों के खिलाफ दाखिल सभी आपराधिक मामलों को वापस लेने का फैसला किया गया था. इस बैठक में राज्य मंत्री अरुण चतुर्वेदी व हेम सिंह भड़ाना, अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपल उप्रेती व दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.