कुछ दिनों से महिला आरक्षण बिल सुर्खियों में है। अखबारों के कई पेज संबंधित खबरों से रंगे है। बिल के बाबत भाजपा और कांग्रेस में होड़ मची है। संसद में बताया जा रहा है किसने देश को पहली महिला राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री,स्पीकर दिया।
सुचेता कृपालानी थीं देश के किसी प्रदेश की पहली सीएम
इन तमाम सुर्खियों में सुचेता कृपलानी का नाम शायद ही कहीं आया हो। उल्लेखनीय है कि उनको सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि, देश की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का श्रेय जाता है। यह इसलिए और खास हो जाता है क्योंकि वह पिछड़े पूर्वांचल के पिछड़े जिलों में से एक बस्ती (अब संकबीर नगर) के मेहदावल विधानसभा से चुनाव जीत कर आई थीं। यह 1962 की बात है। तब उन्होंने संघ के दिग्गज नेता चंद्रशेखर सिंह को शिकस्त दिया था। वह 2 अक्टूबर 1963 से 13 मार्च 1967 तक सूबे की सीएम भी रहीं। इसके पूर्व वह 1952 में गोरखपुर मध्य से लोकसभा का चुनाव लड़ी थीं, पर हार गईं।
जंगे आजादी में रही महत्वपूर्ण भूमिका
अंबाला के एक बंगाली परिवार में 25 जून 1908 में पैदा हुई सुचेता मजमूदार अपने समय से आगे थीं। दिल्ली स्थित देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान इंद्रप्रस्थ व स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ी लिखी और बीएचयू में अध्यापन कर चुकी सुचेता प्रसिद्ध समाजशास्त्री आचार्य जेबी कृपालानी से शादी के बाद कृपलानी हो गयीं। भारत छोड़ो आंदोलन में वह अरुणा आसफ अली व ऊषा मेहता जैसी क्रांतिकारी भूमिका निभाने वाली महिलाओं में से थीं। देश के विभाजन के बाद नोआखाली के दंगों में वह वहां गांधीजी के साथ थीं। वह संविधान सभा की सदस्य भी रहीं।