बॉलीवुड के बाद #MeToo कैंपेन में मीडिया का जाना माना चेहरा और बीजेपी नेता एमजे अकबर का नाम भी सामने आया है. कैबिनेट मंत्री पर लगे यौन शोषण के आरोप पर मध्य प्रदेश की भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष लता केलकर ने विवादास्पद बयान दिया है. भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष केलकर का कहना है कि जिन महिला पत्रकारों ने आरोप लगाए हैं वह खुद भी इतनी मासूम नहीं हैं कि कोई उनका फायदा उठा सके. लता केलकर के इस बयान के बाद मुद्दा और तूल पकड़ सकता है.
मजे अकबर पर लगे आरोपों पर बोलते हुए लता केलकर ने कहा कि एमजे अकबर एक पत्रकार रहे हैं और आरोप लगाने वाली महिलाएं भी पत्रकार हैं. ऐसे में इस मामले में दोनों की ही गलती है. जब केलकर से पूछा गया है कि आरोपों के बाद क्या एमजे अकबर को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए तो महिला मोर्चा अध्यक्ष का कहना था कि इस बारे में वो कुछ नहीं कह सकतीं. ये फैसला पार्टी हाई कमान और एमजे अकबर ही लेंगे. इसके बाद जब लता केलकर से पूछा गया कि अगर ऐसे आरोप किसी कांग्रेस लीडर पर लगे होते जब वो क्या कहती तो लता केलकर का कहना था कि वो इस्तीफे की मांग करतीं.
लता केलकर ने MeToo अभियान का स्वागत करते हुए कहा कि इस कैंपेन ने महिलाओं को ताकत दी है जिससे वो शोषण के खिलाफ आवाज उठा पा रही हैं. इसी के साथ केलकर ने कहा कि क्योंकि उनको ऐसा लग रहा है इसलिए यह उत्पीड़न हो गया, नहीं क्योंकि उन्होंने ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं की थी.
#MeToo: एमजे एकबर के बचाव में उतरा मोदी सरकार का यह केंद्रीय मंत्री
बता दें कि मीटू अभियान के तहत केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और पूर्व संपादक एमजे अकबर के खिलाफ कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप सार्वजनिक रूप से लगाए हैं. इस बीच एक अन्य पत्रकार गजाला वहाब ने एमजे अकबर के खिलाफ अपने खौफनाक अनुभवों को अंग्रेजी वेबसाइट द वायर पर शेयर किया है. अपनी कहानी को बताते हुए गजाला ने कहा है कि एशियन एज अखबार में काम करने के दौरान जब एमजे अकबर की निगाहें उन पर पड़ीं तो वहां उनके नौकरी के अंतिम छह महीने नरक से भी बदतर रहे.