(शाश्वत तिवारी)। रासायनिक खाद का संकट झेल रहे पड़ोसी देश नेपाल का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र पहुंचा, जहां गुरुकुल में प्राकृतिक खेती के मॉडल से रूबरू हुआ। इससे पहले 31 मई से तीन जून तक भारत की यात्रा पर आए नेपाल के पीएम को भारतीय प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती का सुझाव दिया था। साथ ही इसके फायदे बताते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड सत्ता संभालने के बाद पहली बार 31 मई से तीन जून तक भारत की यात्रा पर आए थे। इस दौरान द्विपक्षीय बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष नेपाल में खाद संकट का उल्लेख किया था। साथ ही सहयोग का भी आग्रह किया था। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री को रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दी थी। साथ ही इस दिशा में गुजरात और हरियाणा में हो रहे कार्य का भी उल्लेख किया था। इसके बाद अब नेपाल सरकार का प्रतिनिधिमंडल प्राकृतिक खेती के गुर सीखने धर्मनगरी पहुंचा है। इसमें विदेश मंत्रालय के अपर सचिव गोकुल वीके और कृषि, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक सहित किसान भी शामिल हैं।
गुरुकुल पहुंचे नेपाल के किसान लेखनाथ विशाल, दामोदर ढकाल, प्रत्युश राणा, पुस्कर केसी, धर्मा शासी का कहना है कि नेपाल में खेत की जोत बेहद छोटी है तो सरकार की सहायता भी कम है। यही कारण है कि आज भी वहां किसान खुशहाल नहीं हो पाया है। अब रासायनिक खेती से वहां का किसान मुक्ति पाना चाहता है। गुरुकुल में उन्हें बेहद सरल व उत्पादकता बढ़ाने वाला मॉडल देखने को मिला है, जो वहां के अन्य किसानों के लिए कारगर साबित हो सकता है। वहीँ राज्यपाल आचार्य देवव्रत का कहना है कि नेपाल से आए विज्ञानियों, अधिकारियों व किसानों को तीनों दिन प्राकृतिक खेती की बारीकी बताई जाएगी। प्राकृतिक खेती को देख नेपाल का प्रतिनिधिमंडल उत्सुक है। उम्मीद है कि नेपाल में प्राकृतिक खेती के मॉडल से कृषि को बढ़ावा मिलेगा।