अवैध हथियारों के लिए कुख्यात मुंगेर में एके-47 पहुंचाने में तीन लोग अहम भूमिका निभाते थे, जिनमें पुरुषोत्तम, उसकी पत्नी चन्द्रवती देवी और उसका बेटा शैलेन्द्र रजक शामिल हैं. ये तीनों मिलकर एके-47 की खेप मुंगेर पहुंचाते थे, जहां से इमरान और शमशेर को सप्लाई की जाती थी. इन एके-47 राइफलों को रिपेयर किया जाता था और फिर मंजर आलम इन्हें बेचने का काम करता था.पुरुषोत्तम मध्य प्रदेश के रीवा जिले का रहने वाला है. वो सेना में आर्मर के पद से वर्ष 2008 में रिटायर हुआ था. सेना में रहने की वजह से पुरुषोत्तम को हथियारों की अच्छी परख है और वह इनकी रिपेयरिंग करना भी जानता है. पुरुषोत्तम का सम्पर्क जबलपुर में सुरेश ठाकुर से हुआ, जो सीओडी यानी सेना के सेन्ट्रल ऑर्डिनेंस डिपो के कई गोदामों का इंचार्ज था.
सेना के ऐसे हथियार, जिन्हें रिपेयरिंग की जरूरत है या जो बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो चुके हैं, उनको इस डिपो में रखा जाता है. कायदे से उन हथियारों को डिस्मेंटल कर देना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुरुषोत्तम ने इन्हीं बेकार पड़ी एके 47 राइफलों को रिपेयरिंग कर बेचने का प्लान बनाया था. अब हथियार बेचने के लिए मुंगेर से अच्छी जगह और कौन हो सकती हैं? अवैध हथियारों का बाजार पहले से ही मुंगेर में चलता रहा है. यहां हथियारों के सौदागर खुद चल कर आते हैं. यहां हथियार बेचने और खरीदने वाले दोनों आसानी से मिल जाते हैं.
पुरुषोत्तम ने हथियारों को सुरक्षित पहुंचाने के लिए अपनी पत्नी चन्द्रवती देवी को भी साथ लिया, ताकि किसी को शक न हो. ये दोनों पति-पत्नी ट्रेन के जरिए मौत का ये सामान मुंगेर पहुंचाते रहे. पुलिस की जांच में ये बात सामने आई कि एके-47 के हर खेप में पुरुषोत्तम के साथ उसकी पत्नी चन्द्रवती देवी मौजूद रही है. पति-पत्नी होने के कारण किसी को शक भी नहीं हुआ.
एके-47 की जांच के मामले में जबलपुर की पुलिस मुंगेर पहुंची. पुलिस ने बताया कि इस मामले में आरोपी पुरुषोत्तम, उसकी पत्नी चन्द्रवती देवी, बेटा शैलेन्द्र रजक और सेन्ट्रल ऑर्डिनेंस डिपो के सुरेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया है यानी जिनके जरिए एके-47 मुंगेर पहुंच रहे थे, वो सारे आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. मुंगेर में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ करने जबलपुर की पुलिस भी पहुंची हुई है.