केरल की मार्क्सवादी पार्टी और कम्युनिस्ट सरकार ने प्रदेश की मीडिया के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। प्रमुख मलयालम टीवी समाचार चैनल “एशिया नैट” की चीफ रिपोर्टर सुश्री अखिला नंदकुमार ने एक खबर चलाई थी कि एक वरिष्ठ माकपा छात्र नेता ने फर्जी प्रमाण पत्र देकर व्यक्तिगत लाभ उठाया है। वह व्यक्ति परीक्षा में शामिल ही नहीं हुआ था। पर उतीर्ण घोषित कर दिया गया। पत्रकारों का आरोप था कि माकपा-नीत वाम मोर्चा सरकार जबरन मीडिया की आवाज घोटने की साजिश रच रही है।
केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (KUWJ) के अध्यक्ष कु. एमवी विनीता (त्रिशूर में दैनिक “वीक्षणम” की रिपोर्टर) और महासचिव आर. किरण बाबू ने भर्त्सना की कि पत्रकार आखिला पर हमला कर पिनरायी विजयन की माकपा सरकार मुक्त मीडिया की आवाज को दबाने में जुटी है। इसी विषय पर दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और उत्तराखंड के प्रतिष्ठित पत्रकार उमाकांत लखेड़ा ने आज (14 जून 2023) एक बयान में कहा कि इस महिला पत्रकार पर केरल राज्य पुलिस ने प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर दी है। उसमें आरोप है कि इस वरिष्ठ स्त्री संवाददाता ने केरल के एक प्रमुख मार्क्सवादी छात्र नेता और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के नेता की मानहानि की है। इस माकपा नेता का नाम पीएम आर्शो है। KUWJ का आरोप है कि माकपा मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन (जो अभी अमेरिका की यात्रा पर हैं) के मीडिया सचिव पीएम मनोज और राजनीतिक सचिव पी. शशी ने राज्य पुलिस को इस महिला पत्रकार के विरुद्ध कड़ी दंडात्मक कार्यवाही हेतु बाध्य किया है।
केरल के शीर्ष मीडिया “साउथ फर्स्ट” (South First) के संपादक ने एशिया नेट के कार्यकारी संपादक सिधू सूर्यकुमार के हवाले से बताया कि उनकी मुख्य संवाददाता आखिला के खिलाफ थोपे गए इल्जामों की जांच अभी तक पुलिस ने शुरू नहीं की। इसी विषय पर सोनिया-कांग्रेस के केरलवाले राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल, पूर्व राज्य गृहमंत्री रमेश चेन्निथाला तथा सांसद बेन्नी बेहनानन ने भी माकपा शासन की तीव्र आलोचना की है।
पत्रकार आखिला पर प्राथमिकी में आरोप लगे हैं : धारा 120-बी (षडयंत्र), 465 फर्जीवाड़ा, 469 और 500 (मानहानि और जालसाजी) आदि। माकपा छात्र नेता की शिकायत पर ही आखिला और पांच अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। छवि धूमिल करने के लिए। पुलिस ने विपक्षी कांग्रेस की छात्र शाखा केरल छात्र संघ (केएसयू) के प्रदेश अध्यक्ष और एक अन्य छात्र के खिलाफ साजिश रचने और मानहानि के आरोप में पीएम अर्शो की शिकायत पर मामला दर्ज किया है। अर्शो सत्तारूढ़ माकपा की छात्र शाखा एसएफआई के राज्य सचिव हैं।
केरल में पुराने तीव्र प्रतिद्वंदी माकपा-नीत वाम मोर्चा और सोनिया-कांग्रेस नीत संयुक्त मोर्चा में तकरार की अर्धशती हो गई है। इस विषमता में गहराई आ गई थी। जब राहुल गांधी (अमेठी के साथ) केरल के वायनाड क्षेत्र से भी लोकसभा का निर्वाचन 2019 में लड़े थे। उन्होंने यहां की पारंपरिक वाम मोर्चा की सीट से माकपा के पीपी सुनीर को हराया था। हालांकि गुजरात में मानहानि के आरोप में राहुल की यहां की सांसदी अब निरस्त कर दी गई है।
आज माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन जिनके बयान पर पत्रकार आखिला पर मुकदमा कायम हुआ ने अपना पैंतरा पलटते हुए कहा कि वे सदा से मीडिया की आजादी के पक्षधर रहें हैं। गोविंदन ने अपने बचाव में कहा : “मीडिया ने मेरे बयानों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया। मैंने कभी नहीं कहा कि सरकार की आलोचना नहीं की जानी चाहिए। मीडिया कभी-कभी कुछ टिप्पणियों को समाचार के रूप में चित्रित करता है, विवादों को जन्म देता है। अर्थ को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।”
इस विवाद के साथ ही एक अन्य घटना भी हुई। माकपा की स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की शीर्ष नेता कुमारी के. विद्या ने भी केरल हाई कोर्ट में आज (14 जून 2023) अग्रिम जमानत की याचिका लगाई है। उन पर कासरगोड के करियांथम कॉलेज में अपनी कार्य अनुभववाला फर्जी प्रमाणपत्र जमा करने का आरोप है। पुलिस की छापामारी के कारण विद्या फरार हो गई है।
विद्या का दावा है कि पल्लक्काड़ के राजीव गांधी कालेज में उन्होंने अध्यापन कार्य किया। पुलिस के अनुसार यह साबित नहीं हो पाया। कालीकट विश्वविद्यालय के मलयालम विभाग के पूर्व अध्यक्ष और विख्यात साहित्यकार प्रो. एमएन कारासेरी ने आक्रोश व्यक्त किया : “माकपा सरकार राजमद में अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है।” इस बीच माकपा ने विद्या से पार्टी का समस्त नाता तोड़ दिया है। केरल की कम्युनिस्ट सरकार के उद्योग मंत्री पी. राजीव ने बचाव मे कहा कि किसी एक व्यक्ति के अपराध पर सारी माकपा को बदनाम नहीं करना चाहिए। फिलहाल मीडिया बनाम मुकाबला केरल में व्यापक हो रहा है।