बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर मंगलवार को आयोजित मंडल सम्मेलनों में शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदेश में संगठनात्मक पुनर्गठन के बाद हो रहे इस आयोजन पर सबकी निगाह लगी है। खासकर लखनऊ में होने वाले सम्मेलन पर, जिसको सफल बनाने के लिए कार्यकर्ता पूरी ताकत लगाए हैं। हालांकि, ईको गार्डन में होने वाले सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती शामिल नहीं होंगी, फिर भी दो लाख लोगों की भीड़ जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है।सुबह सुबह मान्यवर काशीराम के 12वे परिनिर्वाण दिवस पर मंगलवार को वीआईपी रोड स्थित काशी राम स्मारक पर हुई श्रधांजलि सभा में बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा, पूर्व मंत्री नकुल दुबे, आरएस मित्तल, पप्पू दुवेदी, डॉ हरि कृष्ण गौतम, नौशाद अली, अखिलेश अम्बेडकर, समेत कई बसपा के नेताओ ने मोमबत्ती जला कर पुष्प अर्पित किये। स्मारक में पार्टी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रहा। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांशीराम के सपनों को साकार करना है, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रदेश अध्यक्ष आरके कुशवाहा के मुताबिक सम्मेलन में लखनऊ जिले के हर एक विधानसभा क्षेत्र से पांच-पांच हजार और मंडल के अन्य जिलों से दो -दो हजार की भीड़ जुटानी है, जिसमें सभी वर्गों से प्रतिनिधित्व जरूर होगा। लखनऊ के अलावा प्रदेश के अन्य मंडलों में करीब 20 हजार लोगों को एकत्रित करने को कहा गया है। वहीं, भाईचारा कमेटियों के पदाधिकारी से अपने समाज की भागीदारी कराने की हिदायत दी है।
गठबंधन को लेकर बनी पशोपेश जैसी स्थिति में बसपा के कार्यक्रम को अहम माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि पुण्यतिथि के बहाने बसपा नेतृत्व शक्ति प्रदर्शन के साथ नवगठित पदाधिकारियों की क्षमता भी आंकना चाहता है। खुद को भाजपा विरोध की धुरी सिद्ध करना चाहती बसपा गठबंधन की स्थिति में अपना पलड़ा भारी रखना चाहेगी। इसीलिए कांशीराम की पुण्यतिथि पर सम्मेलनों के जरिये ताकत को दिखाना चाहती है। सम्मेलनों के बाद बसपा बड़े स्तर पर मुहिम छेडऩे की तैयारी में है ताकि भाजपा के जातीय सम्मेलनों का जवाब दिया जा सके।