आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की सड़कों को पुनर्विकसित (रिडिजाइन) करने की योजना साढ़े तीन साल बाद भी एक कदम आगे नहीं बढ़ पाई है। इसका खामियाजा दिल्ली वाले हर दिन भुगत रहे हैं। इसके बाद भी हालत यह है कि जल्द से जल्द काम शुरू करने के बजाय सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को योजना में ही बदलाव करने को कहा है, ताकि उसकी जिम्मेदारी कुछ कम हो जाए।पूर्व की योजना के अनुसार, दिल्ली की 11 सड़कों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करना था। नई योजना के अनुसार फुट ओवरब्रिज और अंडरपास का निर्माण नहीं करना होगा। दिल्ली में सड़कों के डिजाइन में कमी सामने आने पर साढ़े तीन साल पहले पीडब्ल्यूडी ने 11 सड़कों को पुनर्विकसित करने की योजना बनाई थी।
इनमें से अब दो सड़कों को कम करने के लिए सरकार ने पीडब्ल्यूडी से कहा है। यानी, अब नौ सड़कें ही इस योजना के पहले चरण में शामिल होंगी। इस योजना पर बहुत पहले काम शुरू हो जाना था, लेकिन अभी तक इसकी फाइल एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय तक घूम रही है।
सत्ता में आने के बाद आप सरकार के नेताओं ने विभिन्न देशों की सड़कों के निर्माण की रिपोर्ट का अध्ययन कर दिल्ली की सड़कों को भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने का फैसला लिया था। मंत्रियों के विदेश दौरों के अनुभव को भी योजना में शामिल किया गया।
दो साल पहले दिल्ली सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सड़कों के निर्माण में अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं हो रहा है। इसलिए इन्हें पुनर्विकसित करने की जरूरत है। इस योजना के पहले चरण पर खर्च का अनुमान 100 करोड़ रुपये माना गया था। पहले चरण में जिन 11 सड़कों को पुनर्विकसित करने की तैयारी की गई थी, उनकी लंबाई करीब 70 किलोमीटर है।
पूर्व की योजना में इन बातों पर था खास ध्यान
- पैदल यात्रियों के लिए अलग और सुगम लेन, फुटपाथ, सर्विस लेन, पार्किग, फुटओवर ब्रिज व अंडरपास का निर्माण, स्ट्रीट फर्नीचर, साइकिल ट्रैक, शौचालय, सुंदरीकरण का कार्य, क्रॉसिंग में सुधार।
- सड़कों को इस तरह डिजाइन किया जाना था कि लोग अपने वाहन के हिसाब से समझ पाते कि उन्हें सड़क के किस भाग में चलना है।