(शाश्वत तिवारी) : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कल अपनी सूरीनाम की तीन दिन की राजकीय यात्रा संपन्न की। यात्रा के अंतिम दिन राष्ट्रपति मुर्मु ने सूरीनाम में भारतवंशियों के लिए सामुदायिक स्वागत समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर भारतवंशी समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच वार्ता के निष्कर्षों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने सूरीनाम की छठी पीढ़ी को विदेशों में रह रहे भारतीय वाला कार्ड दिए जाने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। राष्ट्रपति मुर्मु की यह यात्रा ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। वे सूरीनाम में भारतीयों के आने की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि थीं। यह कार्यक्रम पांच जून को आयोजित किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यहां आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। आपके आतिथ्य और स्वागत से मैं बहुत अभिभूत हूं। मैं भारत में आपके भाई-बहनों की ओर से आपको शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं।
सांस्कृतिक मोर्चे पर राष्ट्रपति ने मुर्मू ने लल्लारूख पोत पर समुद्री मार्ग के रास्ते भारतीयों के सूरीनाम पहुंचने की घटना के पुनरावलोकन का साक्षात्कार किया। उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। श्रीमती मुर्मू ने बाबा और माई प्रतिमा, लेडी श्रनन की स्मारक तथा गैलबर्न हिडन 1902 के स्मारक पर भी श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति मुर्मू ने लल्लारूख संग्रहालय का दौरा किया और आर्य दिवाकर मंदिर और श्री विष्णु मंदिर में पूजा अर्चना की। राष्ट्रपति मुर्मू को सूरीनाम की अंतरधार्मिक परिषद की भी जानकारी दी गई। राष्ट्रपति अब यात्रा के दूसरे चरण में सर्बिया के लिए रवाना हो गई हैं।