हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खराब लिखावट को लेकर तीन डॉक्टर्स पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित महात्मा गांधी मैमोरियल मेडिकल कॉलेज (MGM) ने घोषणा की है वह इस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को लिखावट सुधारने के लिए ट्रेंनिंग देगा, ताकि जो भी दवाई का नाम वह लिखकर दें, उसे पढ़ने में मरीजों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो.एमजीएम की डीन डॉक्टर ज्योति बिंदल ने रविवार को कहा कि कॉलेज में अब छात्रों की लिखाई को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि वह साफ-सुधरी और समझने लायक लिखाई लिख सके. उन्हें समझाया जाएगा कि एक डॉक्टर के तौर पर दवाइयों का नाम सही और साफ लिखना कितना जरूरी है.
आपको बता दें, डॉक्टर ज्योति बिंदल ने कहा लंबे समय से डॉक्टर्स की खराब लिखावट को लेकर शिकायतें बढ़ रही थी. कई बार ऐसा होता था खराब लिखावट के चलते मरीज गलत दवाई लेकर आ जाता था. ऐसा मरीज के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता था.
हाल ही में मोदी सरकार ने ‘आयुष्मान योजना’ लॉन्च की है. जिसमें इस बात को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिया है कि डॉक्टर्स जो दवा साफ लिखावट में ही लिखकर दें. डॉक्टर्स की खराब लिखावट के चलते उन पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है. ऐसे में कुछ डॉक्टरों ने अपने मरीजों को डिजिटल पर्ची देनी शुरू कर दी है.
एक अधिकारी ने न्यूज एंजेसी ‘पीटीआई’ को बताया- खराब लिखावट के चलते मरीजों की दिक्कतों को देखते हुए डॉक्टरों की लिखावट सुधारने के लिए साल 2015 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने पर्ची को बड़े अक्षरों (कैपिटल लेटर्स) में लिखना अनिवार्य कर दिया था, जिससे मरीज और दवा दुकानदार आसानी से पर्ची पर लिखी दवाई समझ सके