पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान करने के साथ ही इन राज्यों में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही राज्य में नेताओं समेत सरकारों पर कई तरह की पाबंदियां लागू हो जाएंगी। लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले यह विधानसभा चुनाव काफी अहम मानें जा रहे हैं। बहरहाल, हम सभी के लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर चुनाव आचार संहिता क्या होती है और इसमें किस तरह की पाबंदियां सरकार, प्रशासन और नेताओं पर लागू होती हैं।चुनाव आचार संहिता का अर्थ
चुनाव आचार संहिता का मतलब चुनाव आयोग के वे दिशा-निर्देश होते हैं जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। आयोग से उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और उम्मीदवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। जांच में दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है। राज्यों में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं।
पर्यवेक्षक रखेंगे नजर
इस दौरान राजनीतिक दलों के आचरण और सभी क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है। इस दौरान मुख्यमंत्री या मंत्री न तो कोई घोषणा कर सकते हैं और न ही किसी तरह का शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन भी नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं होगा, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचता हो। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद सभी के लिए अलग-अलग नियम हैं। आईये अब इनसे जुड़े नियमों पर नजर डाल लेते हैं:-
सामान्य नियम :
1- कोई भी दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले।
2- राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न ही व्यक्तिगत।
3- धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
4- मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
5- किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें। किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
6- राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।
राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम
1- सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें।
2- सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।
3- सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए।
जुलूस संबंधी नियम
1- जुलूस का समय, शुरू होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय तय कर सूचना पुलिस को दें।
2- जुलूस का इंतजाम ऐसा हो, जिससे यातायात प्रभावित न हो।
3- राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले बात कर लें।
4- जुलूस सड़क के दायीं ओर से निकाला जाए।
5- जुलूस में ऐसी चीजों का प्रयोग न करें, जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सके।
मतदान के दिन संबंधी नियम
1- मतदान केन्द्र के पास लगाए जाने वाले कैम्पों में भीड़ न लगाएं। कैंप पसाधारण होने चाहिए।
2- मतदान के दिन वाहन चलाने पर उसका परमिट प्राप्त करना बेहद जरूरी है। अधिकृत कार्यकर्ताओं को बिल्ले या पहचान पत्र दे।
3- मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर हो और उसमें प्रतीक चिह्न, अभ्यर्थी या दल का नाम न हो।
4- मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।
ये काम नहीं करेंगे मुख्यमंत्री-मंत्री
1- शासकीय दौरा (अपवाद को छोड़कर)
2- विवेकाधीन निधि से अनुदान या स्वीकृति
3- परियोजना या योजना की आधारशिला
4- सड़क निर्माण या पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन
अधिकारियों के लिए नियम
1- शासकीय सेवक किसी भी अभ्यर्थी के निर्वाचन, मतदाता या गणना एजेंट नहीं बनेंगे।
2- मंत्री यदि दौरे के समय निजी आवास पर ठहरते हैं तो अधिकारी बुलाने पर भी वहॉं नहीं जाएंगे।
3- चुनाव कार्य से जाने वाले मंत्रियों के साथ नहीं जाएंगे।
4- जिनकी ड्यूटी लगाई गई है, उन्हें छोड़कर सभा या अन्य राजनीतिक आयोजन में शामिल नहीं होंगे।
5- राजनीतिक दलों को सभा के लिए स्थान देते समय भेदभाव नहीं करेंगे।
सत्ताधारी दल के लिए नियम
1- कार्यकलापों में शिकायत का मौका न दें।
2- मंत्री शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार के कार्य न करें।
3- इस काम में शासकीय मशीनरी तथा कर्मचारियों का इस्तेमाल न करें।
4- सरकारी विमान और गाड़ियों का प्रयोग दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए न हो। हेलीपेड पर एकाधिकार न जताएं।
5- विश्रामगृह, डाक-बंगले या सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं हो। इन स्थानों का प्रयोग प्रचार कार्यालय के लिए नहीं होगा।
6- सरकारी धन पर विज्ञापनों के जरिये उपलब्धियां नहीं गिनवाएंगे।