यूं तो शराब और शवाब के नशे में चूर होकर स्टेज पर यूपी की खाकी का थिरकना, शराब के नशे में चूर होकर सड़क, फुटपाथ और यहां तक कि नालियों में औंधे मुंह नजर आना अब कोई नयी बात नहीं रह गयी है। अनेक अवसरों पर मीडिया ने यूपी की बदनाम हो चुकी खाकी के चरित्र का चीरहरण भी किया है। यहां तक कि मीडिया में सुर्खियां बनने बाद सूबे की सरकारों ने भी यूपी पुलिस को अनेकों बार सुधर जाने की चेतावनियां भी दीं, इतना ही नहीं कई पुलिस वालों पर विभागीय गाज भी गिरी लेकिन यूपी की खाकी है कि सुधरने का नाम ही नहीं लेती। यूपी पुलिस की अपराधियों संग गलबहियां भी अनेक अवसरों पर चर्चा का विषय रही हैं।
अनेक मामले ऐसे भी हैं जिनमें यूपी की खाकी ने अपराधियों संग सांठगांठ करके भुक्तभोगी पर ही कहर ढाया है। ऐसे मामले खुले भी और पुलिस पर कार्रवाई भी हुई लेकिन यूपी की खाकी ने किसी भी घटना से सबक लेने में अपनी रुचि नहीं दिखायी। अनेक अवसरों पर देखा गया है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ भुक्तभोगी ने मुकदमा दर्ज करवाया है उसी अरोपी व्यक्ति के साथ यूपी पुलिस की बैठकी शर्मसार कर देने वाली रही।
आरोपी व्यक्ति के संग खाकी की गलबहियां और डांसरों के ठुमकों पर पैसा लुटाने से सम्बन्धित मामला मोहनलालगंज तहसील के नगराम थाने से सम्बन्धित है। हुआ यूं कि मोहनलालगंज निवासी एक किसान ने नगराम थानान्तर्गत देवती गांव से जुडे़ एक मामले को लेकर देवती गांव के ग्राम प्रधान महेश कुमार गुप्ता और उसके परिवार के खिलाफ विगत 26 अप्रैल वाले दिन भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 406, 352, 504 और 506 के तहत मुकदमा पंजीकृत करवाया था। भुक्तभोगी किसान का कहना है कि उसने देवती गांव के प्रधान महेश कुमार गुप्ता को जमीन खरीदने के बाबत कुछ स्थानीय गवाहों के समक्ष 5 लाख रुपया बतौर पेशगी दिया था।
जब किसान ने जमीन का मुआयना किया तो वह जमीन राजस्व के अभिलेखों में चक रोड के नाम पर दर्ज पायी गयी। जब ठगे जाने का अहसास किसान को हुआ तो उसने ग्राम प्रधान महेश कुमार गुप्ता से सम्पर्क कर अपने रुपए वापस मांगे। रुपया मांगे जाने पर महेश ने यह कहकर पैसा देने से इंकार कर दिया कि आपका पैसा खर्च हो गया है लिहाजा दो-तीन किश्तों में दे दिया जायेगा। लगभग तीन वर्ष के दौरान महेश ने डेढ़ लाख रुपया दिया भी लेकिन बाद में देने से मना कर दिया। शेष साढे तीन लाख रुपयों के बाबत ग्राम प्रधान महेश का कहना है कि उक्त रकम उसने बिचैलिए मनोज कुमार द्विवेदी को दे दिए हैं लिहाजा उन पैसों को लौटाया जाना सम्भव नहीं होगा। जब किसान अपने पैसे की वापसी पर अड़ गया तो ग्राम प्रधान महेश कुमार गुप्ता और उसके पारिवारिक सदस्य हाथापायी पर उतर आए और धमकी देते हुए बोले कि यदि दोबारा यहां दिखायी दिए तो जान से जाओगे।
भुक्तभोगी किसान ने इस सम्बन्ध में नगराम थाने में उपरोक्त लोगों के खिलाफ सम्बन्धित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करवा दिया। बस यहीं से शुरु हुआ पुलिसिया उत्पीड़न और वह भी भुक्तभोगी किसान का, होता भी क्यों नहीं जब मामले की जांच कर रहा विवेचक आरोपी संग मदमस्त हो और डांसरों के फूहड़ डांस पर पैसा लुटा रहा हो और वह भी आरोपी के दिए हुए पैसे से। इतना ही नहीं मदमस्त होकर वर्दी में स्टेज पर डांस करके वर्दी को दागदार बनाने में भी इस दरोगा ने कोई कसर नहंी छोड़ी है।
खाकी को शर्मसार करने वाला यह दरोगा संजय सिंह नगराम थाने पर तैनात है और किसान द्वारा ग्राम प्रधान के खिलाफ लिखाए गए मुकदमें का विवेचक भी है। दरोगा संजय सिंह का अरोपी ग्राम प्रधान महेश कुमार गुप्ता संग बेहद करीबी याराना है। इस संवाददाता के पास मौजूद वीडियो से स्पष्ट हो जाता है कि दरोगा संजय सिंह आरोपी ग्राम प्रधान का कितना करीबी है। वीडिया में साफ दिख रहा है कि दरोगा संजय सिंह आरोपी ग्राम प्रधान से पैसे लेकर डांसर के ठुमके पर लुटा रहा है। इतना ही नहीं स्टेज पर चढ़कर वर्दी में डांस करते समय भी दरोगा ने यह नहीं सोंचा कि इससे उसके कैरियर पर प्रभाव पड़ सकता है। इन सबकी चिंता किए बगैर ही वर्दी की अस्मिता को दांव पर लगाया जाना कहीं न कहीं इस बात का प्रमाण है कि उक्त दरोगा को किसी का भय नहीं है।
आरोपी ग्राम प्रधान संग विवेचना कर रहे दरोगा की नजदीकियों का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि दरोगा ने ग्राम प्रधान से पूछताछ करने के बजाए भुक्तभोगी किसान पर ही अनावश्यक दबाव बनाना शुरु कर दिया है। उसे बयान देने के नाम पर बार-बार थाने तलब किया जा रहा है जबकि नियम यह है कि विवेचनाधिकारी स्वयं भुक्तभोगी के पास जाकर बयान लेगा। दूसरी ओर आरोपी ग्राम प्रधान विभिन्न माध्यमों से किसान को जान से मारने की धमकी देता घूम रहा है। किसान को भय है कि यदि वह थाने गया तो उसकी रास्ते में ही हत्या हो सकती है।
पुलिस का अपराधियों संग गलबहियां से सम्बन्धित ऐसा ही एक अन्य मामला पिछले लगभग आठ माह से भुक्तभोगी परिवार को न्याय नहीं दिला पा रहा है। विगत वर्ष अक्टूबर माह का यह मामला एक पीजीआई थानान्तर्गत एक हिस्ट्रीशीटर और भूमाफिया राम सिंह से सम्बन्धित है। इस हिस्ट्रीशीटर ने नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया। भुक्तभोगी परिवार जब स्थानीय थाने रिपोर्ट लिखाने गया तो उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। परेशानहाल और लोकलाज के भय से दुष्कर्म की शिकार नाबालिग बालिका ने जहर खाने के पश्चात मिट्टी का तेल डालकर स्वयं को आग के हवाले कर दिया। सम्बन्धित थाने की पुलिस इतने पर भी नहीं पसीजी। पुलिस ने अपराधी को बचाने की गरज से बलात्कार और आत्महत्या के लिए मजबूर करने सम्बन्धी धाराओं में मुकदमा लिखने के बजाए 406, 504, 506 और 420 के तहत जमानतीय धाराओं में मुकदमा दर्ज कर अपराधी को राहत पहुंचायी।
उपरोक्त मामले तो महज बानगी भर हैं जबकि हकीकत यह है कि खाकी की अपराधियों संग गलबहियां और भुक्तभोगी के खिलाफ उत्पीड़न की कार्रवाई मौजूदा योगीराज में भी आम होती जा रही है।