(शाश्वत तिवारी) । COVID-19 महामारी के बीच घर पर ही बैठे बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए विदेश मंत्रालय लगातार प्रयासरत है। भारतीय छात्रों की वापसी की सुविधा के लिए विदेश मंत्री एस0 जयशंकर ने 25 मार्च को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात भी की थी। अब भारत ने चीनी मेडिकल स्कूलों में पढ़ने से संबंधित एक विस्तृत सलाह जारी की है, दरअसल बीजिंग में भारतीय दूतावास को संभावित भारतीय छात्रों और उनके माता-पिता से चीन में स्नातक नैदानिक चिकित्सा कार्यक्रम (undergraduate clinical medicine programme) में प्रवेश के संबंध में कई प्रश्न प्राप्त हो रहे हैं। इसलिए ये जानकारी साझा की गयी है। गौरतलब है कि चीनी वीजा प्रतिबंध से विभिन्न चीनी विश्वविद्यालयों में नामांकित 23,000 से अधिक भारतीय छात्र प्रभावित हुए हैं।
बीजिंग में भारतीय दूतावास ने माता-पिता और बच्चों को मेडिकल से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दिए।
भारतीय दूतावास ने नेशनल बोर्ड आफ एग्जामिनेशन (National Board of Examination) द्वारा किए गए एक अध्ययन का लिंक भी साझा किया, जिसमें बताया गया है कि 2015 से 2021 तक FMG परीक्षा में बैठने वाले 40,417 छात्रों में से केवल 6387 ने ही इसे पास किया है। इधर इन 45 विश्वविद्यालयों में उस अवधि में चीन में क्लिनिकल मेडिसिन प्रोग्राम का अध्ययन करने वाले भारतीय छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत केवल 16 प्रतिशत था।
इससे पहले विदेश मंत्री एस0 जयशंकर ने जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ अपनी बैठक में भी भारतीय छात्रों की जल्द से जल्द कक्षाओं में भाग लेने के लिए चीन लौटने की प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया था।