आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से शुभकामनाएं दीं। सबसे पहले उन्होंने आजादी दिलाने वाले नायकों को याद किया। उन्होंने कहा कि यह देश कृतज्ञ है, मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकुमत की नींव हिला दी थी। यह राष्ट्र कृतज्ञ है, उन वीरांगनाओं के लिए, रानी लक्ष्मीबाई हो, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी चेनम्मा, बेगम हजरत महल, वेलु नाच्चियार, भारत की नारी शक्ति क्या होती है।
उन्होंने कहा कि आजादी का जंग भी लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनाबाभावे, नाना जी देशमुख, सुब्रह्मण्यमभारती, अनगिनत ऐसे महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू, गोविंद गुरू जैसे आदिवासी नायकों का जिक्र उन्होंने आजादी के मूल्यों को संजोने के लिए किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने की पंच प्रण की बात :
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें उन पंचप्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करनी होगा। अपने संकल्पों को केंद्रित करना होगा। अपने सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। और हमें उन पंचप्रण को लेकर के, 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे आजादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठा करके चलना होगा।
उन्होंने कहा कि जब मैं पंचप्रण की बात करता हूं तो पहला प्रण अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा। बहुत बड़े संकल्प लेकर के चलना होगा। और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत, अब उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए।
बड़ा संकल्प- दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर, हमारी आदतों के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी कोई है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत-प्रतिशत, शत-प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी ने जहां हमें जकड़ कर रखा है, हमें हमारे मनोभाव को बांध करके रखा हुआ है, हमारी सोच में विकृतियां पैदा करके रखी हैं। हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीज भी कहीं नजर आती है, हमारे भीतर नजर आती है, हमारे आस-पास नजर आती है हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी। ये हमारी दूसरी प्रण शक्ति है।
तीसरी प्रण शक्ति, हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए, हमारी विरासत के प्रति क्योंकि यही विरासत है जिसने कभी भारत को स्वर्णिम काल दिया था। और यही विरासत है जो समयानुकूल परिवर्तन करने आदत रखती है। यही विरासत है जो काल-बाह्य छोड़ती रही है। नित्य नूतन स्वीकारती रही है। और इसलिए इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।
चौथा प्रण वो भी उतना ही महत्वपूर्ण है और वो है एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों में एकता, न कोई अपना न कोई पराया, एकता की ताकत, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपनों के लिए हमारा चौथा प्रण है।
पांचवां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य, नागरिकों का कर्तव्य, जिसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता वो भी नागरिक है। नागरिकों का कर्तव्य। ये हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्रण शक्ति है।