आज आजादी के 75 वीं वर्षगाँठ पर लाल किले पर दिए भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक खेती और फर्टिलाइजर मुक्ति पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज प्राकृतिक खेती भी आत्मनिर्भरता का एक मार्ग है।
फर्टीलाइज़र से जितनी ज्यादा मुक्ति मिले उतना देश की कृषि के लिए बेहतर होगा। आज देश में नेनो फर्टीलाइज़र के कारखाने एक नई आशा लेकर के आए हैं। लेकिन प्राकृतिक खेती, केमिकल फ्री खेती आत्मनिर्भरता को ताकत दे सकती है।
कुछ ही समय पूर्व प्रधानमंत्री ने गुजरात के सूरत में आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि प्राकृतिक खेती का सूरत मॉडल पूरे देश के लिए मॉडल बन सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हर पंचायत के 75 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने में सूरत की सफलता पूरे देश के लिए एक मिसाल बनने जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने पारंपरिक खेती के लिए संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करने वाली ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ जैसी योजनाओं के रूप में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में भी बताया था। लाखों किसानों के लाभ के लिए योजना के तहत पूरे देश में 30 हजार क्लस्टर बनाए गए हैं।
10 लाख हेक्टेयर को परंपरागत कृषि विकास योजना’ के तहत कवर किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि प्राकृतिक खेती को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ा गया है क्योंकि गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक कृषि गलियारा बनाने के लिए एक अलग अभियान चलाया गया है।