लखनऊ। महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। अपने सपनों के भारत में उन्होंने गांवों के विकास को प्रमुखता देने और इसी से देश की उन्नति निर्धारित होने की बात भी कही थी। देश का सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश होने के नाते उत्तर प्रदेश में गावों की भी संख्या सर्वाधिक है। देश के 6.5 लाख गावों में से करीब एक लाख गांव तो उत्तर प्रदेश में ही हैं। ऐसे में अगर गांधीजी के सपनों के अनुसार गांवों को बेहतर बनाना है तो शुरुआत उत्तर प्रदेश से ही करनी होगी।
गांधीजी के नाम से राजनीति करने वालों ने गांवों और किसानों के हित की बात तो खूब की, कुछ ने तो अपना नाम ही धरतीपुत्र रख लिया। पर, किसी ने कुछ किया नहीं। किसानों एवं गावों का हित नारों तक ही सीमित रहा। लिहाजा गावों और किसानों की किस्मत करीब जस की तस रही। पहली बार 2014 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और 2017 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गांवों और किसानों पर फोकस किया। योगी सरकार-2.0 में भी यह सिलसिला जारी रहेगा।
और बेहतर होगी डिजिटल कनेक्टिविटी
9 अगस्त को एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांवों को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने के बाबत निर्देश दिए। इसके तहत डिजिटल कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाने के लिए हर गांव में टेलीकॉम टॉवर/ऑप्टिकल फाइबर के विस्तार की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
प्राकृतिक खेती के लिए बनेगा बोर्ड
सीएम योगी का मानना है कि प्राकृतिक खेती भविष्य की खेती और ग्राम स्वराज का आधार है। इसके प्रति किसानों को जागरूक करने, इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार शीघ्र ही बोर्ड का गठन करेगी। दलहन, तिलहन में आयात की निर्भरता कम के लिए पहले से ही सरकार लक्ष्य तय कर काम कर रही है।
समस्याओं के निस्तारण के लिए हर हफ्ते गांवों में लगेगी चौपाल
दरअसल गांव और किसान शुरू से योगी की प्राथमिकता में रहे हैं। पहले कार्यकाल की पहली कैबिनेट में उन्होंने प्रदेश के लघु सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया तो दूसरी बार शपथ ग्रहण करने के अगले ही दिन अफसरों के साथ पहली बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि गांवों का विकास उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। उन्होंने गांव, ग्रामीण, किसानों की परेशानियों के तत्काल निस्तारण के निर्देश दिये। सीएम ने निर्देश दिया कि गांव में सप्ताह में एक बार ‘गांव दिवस’ मनाया जाए। बीट वाले पुलिस कर्मियों सहित जिन विभागों के कर्मचारी संबंधित गांव के विकास के लिए जवाबदेह हैं, वह अनिवार्य रूप से वहां जाएं। ग्राम प्रधान से समन्वय बनाकर समस्याएं सुनें और मौके पर ही उनका स्थाई एवं संतोषजनक हल निकालें।
शहरों को टक्कर देंगे उत्तर प्रदेश के गांव
भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 में भी गावों के विकास के प्रति प्रतिबद्धता जतायी है। संकल्प पत्र के मुताबिक उत्तर प्रदेश के गांव विकास के लिहाज से शहरों की बराबरी करेंगे। मसलन मुख्य शहर से गांव को जोड़ने वाली सोलर लाइट की दूधिया रोशनी से नहाई चकाचक सड़क। जल निकासी के लिए पक्की नालियां। हर ग्राम पंचायत पर बस स्टेशन, इनके लिए 2000 अतिरिक्त बसों की व्यवस्था। इंटरनेट कनेक्टिविटी। जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक हर घर तक शुद्ध पेयजल। आने वाले समय में अपने उत्तर प्रदेश के गांवों की तस्वीर इन सभी पहलुओं को समेटे होगी।
बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नत योजना से संवारे जाएंगे गाव
संकल्प पत्र के मुताबिक गांवों के समग्र विकास के लिए सरकार बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नत योजना शुरू करेगी। इसी क्रम में किसान कर्ज माफी से शुरू किसानों के कल्याण का सिलसिला भी जारी रहेगा। संकल्प पत्र में पहले की तरह सिंचन क्षमता के विस्तार पर खासा जोर दिया गया है। खेतीबाडी के क्षेत्र में एक प्रचलित कहावत है कि पानी को छोड़ खेती हर चीज का इंतजार कर सकती है। खेतीबाड़ी में सिंचाई के इसी महत्व के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पर ड्राप मोर क्रॉप’ का नारा दिया। साथ ही प्रधानमंत्री सिंचाई योजना की शुरुआत की। इसके तहत फोकस उन परियोजनाओं पर था जो दशकों से लंबित थी। डबल इंजन की सरकार के बेहतर तालमेल का ही नतीजा रहा कि भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान वाण सागर, अर्जुन सहायक नहर और सरयू नहर जैसी बेहद महत्वाकांक्षी परियोजनाओं समेत करीब डेढ़ दर्जन परियोजनाओं को पूरा कर सिंचन क्षमता में करीब 20 लाख हेक्टेयर का विस्तार किया। संकल्प पत्र के मुताबिक सिंचाई के लिए 5,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत लघु-सीमांत किसानों को बोरवेल, तालाब और टैंक निर्माण के लिए अनुदान देय होगा। सिंचाई के लिए सभी किसानों को मुफ्त बिजली दी जाएगी। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप देना जारी रहेगा।
सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन से बदलेगी खेतीबाड़ी की सूरत
25,000 करोड़ की लागत से शुरू सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत प्रमुख फसलों की छंटनी, ग्रेडिंग, पैकिंग, अधिक समय तक संरक्षित करने के लिए कोल्ड चेन चेम्बर्स का निर्माण कराया जाएगा। इसी क्रम में 5,000 करोड़ की लागत से गन्ना मिल नवीनीकरण मिशन के अंतर्गत चीनी मिलों के आधुनिकीकरण के साथ नई सहकारी चीनी मिलों के निर्माण, 14 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई है। नहीं होने पर देरी के अनुसार ब्याज भी देय होगा।
मंदी की मार से बचाएगा भामाशाह भाव स्थिरता कोष
मंदी की मार से बचाने के लिए किसानों को आलू, टमाटर एवं प्याज जैसी सभी फसलों का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करने के लिए 1,000 करोड़ का भामाशाह भाव स्थिरता कोष बनाया जाएगा। 1,000 करोड़ की लागत से नन्द बाबा दुग्ध मिशन के तहत दुग्ध उत्पादन में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाया जाएगा। वहीं 4,000 नए फसल-विशिष्ट एफपीओ स्थापित किए जाएंगे। साथ ही प्रदेश में 6 मेगा फूड पार्क विकसित किए जाएंगे। प्रदेश में निषादराज बोट सब्सिडी योजना, मछली बीज उत्पादन यूनिट के लिए 25 फीसद तक की सब्सिडी के साथ ही 6 अल्ट्रा मॉडल मछली मंडियां भी बनाने की बात संकल्प पत्र में कही गईं हैं।