पर्यावरण के लिए अमृत साबित होगी हरिशंकरी

  • आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लगाई जा रही हरिशंकरी वाटिकाएं
  • प्रदेश के हर जिले में 15 अगस्त तक 75-75 हरिशंकरी वाटिका लगाने का लक्ष्य

लखनऊ, 9 अगस्त। आजादी के अमृत महोत्सव में आयोजित हो रहे विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला में योगी सरकार का ध्यान पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी है। इसके तहत लगाई जा रही हरिशंकरी (पीपल, बरगद और पाकड़) वाटिकाएं पर्यावरण संतुलन के लिए अमृत साबित होंगी। सोमवार से शुरू हुए हरिशंकरी सप्ताह के तहत प्रदेश के सभी जनपदों में 75 हरिशंकरी वाटिकाएं लक्ष्य तय किया गया है।


पीपल, बरगद और पाकड़ से मिलकर बनती है हरिशंकरी वाटिका
उत्तर प्रदेश क्लाइमेट चेंज एक्शन प्लान के तहत हुए सर्वे में पर्यावरण की दृष्टि प्रदेश के 27 जिले अति संवेदनशील की श्रेणी में पाए गए हैं। संवेदनशील जिलों में पर्यावरण संतुलन कायम रखने के लिए वर्षाकाल पौधरोपण के अलावा सभी ग्राम पंचायतों में हरिशंकरी पौधरोपण का निर्देश दिया गया है। उल्लेखनीय है किपीपल, बरगद व पाकड़ के सम्मिलित रोपण को हरिशंकरी कहते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि पीपल में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु व महेश का वास होता है। बरगद की शाखाओं में भगवान विष्णु का निवास होता है। बरगद सदाहरित विशालकाय छाया वृक्ष है। पाकड़ का वृक्ष भी देवताओं की ओर से संरक्षित माना जाता है।


सर्वाधिक ऑक्सीजन एवं छाया देना इनकी खूबी
हरिशंकरी समूह में शामिल वृक्षों को सर्वाधिक ऑक्सीजन उत्पादक व छायादार माना जाता है। यही वजह है कि विश्व पर्यावरण दिवस पर भी बड़े पैमाने पर हरिशंकरी का रोपण किया गया। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अक्सर हरिशंकरी का ही रोपण करते हैं। गोरखपुर के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) विकास यादव का कहना है कि शासन की तरफ से तय समय सीमा 15 अगस्त तक जिले में 75 स्थानों पर हरिशंकरी वाटिका लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। सोमवार से शुरू इस कार्य में नागरिक भी पूरे उत्साह से जुड़ रहे हैं। पौधों के संरक्षण के लिए विभाग खुद ध्यान देने के साथ ही नागरिकों को भी जागरूक करेगा।

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