पतंजलि योगपीठ में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा आचार्यकुलम के नए भवन के लोकार्पण को बाबा रामदेव की नाराजगी को दूर करने का प्रयास माना जा रहा है। हालांकि, कार्यक्रम पूरी तरह गैर राजनीतिक था, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक अपने अपने नजरिये से इस यात्रा के राजनीतिक कयास लगाने में जुटे रहे।
पिछले कुछ समय से मोदी सरकार और स्वामी रामदेव के बीच कुछ असहजता के संकेत मिलते रहे थे। मीडिया में आए बाबा के इस बयान ने भी हलचल मचा दी थी कि वे भाजपा का प्रचार नहीं करेंगे।
देशभर में स्वामी रामदेव के पतंजलि योगपीठ और भारत स्वाभिमान के लाखों अनुयायी हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में बाबा रामदेव ने मोदी के नेतृत्व में भाजपा को भारी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाबा को साधने के फायदे भाजपा नेतृत्व अच्छी तरह जानता है।