सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में आई तेजी

  • 56 फीसदी से अधिक सी एंड जी (क्लियरिंग एंड ग्रबिंग ) का कार्य पूरा
  • एक्सप्रेस-वे के लिए लगभग 94 प्रतिशत से अधिक भूमि का हुआ अधिग्रहण

लखनऊ, 29 जुलाई। मेरठ-प्रयागराज गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण की तैयारी अब तेज हो गई है। प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा 594 किमी लंबा गंगा एक्सप्रेस वे प्रयागराज से मेरठ होते हुए उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास की नई इबारत लिखेगा। गंगा एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए अब तक 56 फीसदी से अधिक का सी एंड जी ( क्लीयरिंग एंड ग्रबिंग) का कार्य पूरा किया जा चुका है। यही नहीं एक्सप्रेस वे के लिए लगभग 6966 हेक्टेयर ( 94 प्रतिशत से अधिक) भूमि का क्रय/अधिग्रहण किया जा चुका है।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की शुरुआत के बाद अब गंगा एक्सप्रेस वे योगी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने बीती 13 जुलाई को इनवायरमेंटल क्लीयरेंस भी दे दिया है। जिसके बाद से एक्सप्रेस वे के निर्माण में और तेजी आ गई है। इस एक्सप्रेस वे की निर्माण से करीब 518 ग्राम आच्छादित होंगे। इसके साथ ही एक्सप्रेस वे से मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा , संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, और प्रयागराज जिलों को जोड़ा जाएगा।

शाहजहांपुर में बनेगी 3.5 किमी की हवाई पट्टी

गंगा एक्सप्रेस वे प्रदेश का छठा और सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा। यही नहीं एक्सप्रेस वे पर आपातकालीन स्थिति में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के लैंडिंग/टेक ऑफ के लिए शाहजहांपुर में 3.5 km लंबी हवाईपट्टी भी विकसित की जानी है। साथ ही लोगों की सुविधाओं के लिए 9 जनसुविधा केंद्र, 7 रेलवे ओवर ब्रिज, 14 दीर्घ सेतु, 126 लघु सेतु और 381 अंडरपास बनाया जाएगा। एक्सप्रेस वे पर प्रवेश और निकासी के लिए 17 स्थानों पर इंटरचेंज सुविधा भी दी जाएगी। परियोजना के आस पास के गांवों के निवासियों के लिए सर्विस रोड भी बनाया जाएगा।

परियोजना से लाभ

इस एक्सप्रेस वे के दोनों किनारों पर ( मेरठ, हापुड़, बरेली, मुरादाबाद, हरदोई, लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज) में इंडस्ट्रियल हब बनाने के लिए सरकार की तरफ से यूपीडा का अधिकृत किया गया है। एजेंसी का चयन कर इंडस्ट्रियल हब को विकसित करने का कार्य तेजी के साथ कराया जा रहा है। एक्सप्रेस वे के प्रवेश नियंत्रित होने से ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत , समय की बचत और पर्यावरणीय प्रदूषण का नियंत्रण भी सम्भव हो सकेगा।

औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा एक्सप्रेस वे

गंगा एक्सप्रेस वे से सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा विभिन्न उत्पादन ईकाईयों, विकास केंद्रों और कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेस वे खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों, भंडार गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।

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