जिलों की पहचान के बाद बारी तहसीलों की, ओडीओपी के बाद अब योजना ओटीओपी

  • एक तहसील एक उत्पाद योजना शुरू करने की तैयारी
  • तहसील स्तरीय विशिष्ट उत्पादों का होगा चिन्हांकन

लखनऊ:- मऊ जिले की एक तहसील है घोसी। घोसी का एक कस्बा गोठा। गोठा का गुड़ अपनी लड्डू जैसी साइज और खास मिठास के लिए जाना जाता है। गोठा गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर पड़ता है। सारनाथ से सड़क से कुशीनगर, कपिलवस्तु जाने वाले बुद्धिष्ट देशों के पर्यटकों को भी यह आकर्षित करता है।

गोठा खुद में अपने किसी खास उत्पाद के लिए पहचान रखने वाला किसी तहसील का अकेला कस्बा नहीं है। उत्तर प्रदेश की अधिकांश तहसीलों या उसके किसी खास कस्बे का कोई उत्पाद उसकी पहचान हैं।मसलन, गोरखपुर के कैम्पियरगंज के रमचौरा के कच्चे केले की अपनी पहचान है। फरेंदा महराजगंज की हरी मटर की अपनी मिठास के नाते सीजन में पूरे क्षेत्र में धूम रहती है। हरदोई का नाम लेते ही संडीला के लड्डू की याद आ जाती है। कुशीनगर के दुदही ब्लाक में हल्दी की खेती का इतिहास सदियों पुराना है। ये चंद उदाहरण मात्र हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों की तहसीलें या उनका कोई कस्बा अपने ऐसी ही किसी खूबी के नाते जाना जाता है।

उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो ओडीओपी की शानदार सफलता से उत्साहित सरकार अब एक तहसील एक उत्पाद योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है। ओडीओपी की तर्ज पर अगर इन उत्पादों की पैकेजिंग, डिजाइनिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग, जरूरत के अनुसार पूंजी की उपलब्धता और इनसे जुड़े लोगों के कौशल को निखारने के लिए प्रशिक्षण आदि की सुविधाएं उपलब्ध करा दिया जाय तो इनकी भी संभावनाएं ओडीओपी की तरह ही बढ़ जाएंगी। समय के साथ इन उत्पादों के जरिए ब्रांड यूपी देश-दुनिया में और मजबूत होगा। एक तरीके से यह ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) का ही विस्तार होगा। इसीलिए मुख्यमंत्री चाहते हैं कि ओडीओपी की तर्ज पर “ओटीओपी यानी एक तहसील, एक उत्पाद योजना’ भी शुरू की जाए। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार एमएसएमई विभाग इस बाबत काम करने जा रहा है। पहले चरण में जिले के स्थानीय प्रशासन से मिलकर तहसीलवार ऐसे उत्पादों की सूची तैयार करेगा। किसी विशेषज्ञ संस्था के सहयोग से इनकी संभावनाओं और इन संभावनाओं को विस्तार देने के लिए जमीनी स्तर पर क्या किया जाना है, इसका पता करेगा।

मालूम हो कि प्रदेश के समग्र विकास, परंपरागत कला, कौशल को संरक्षण एवं संवर्धन देने, इनसे जुड़े लाखों परिवारों का जीवन बेहतर करने के और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने के मकसद से उत्तर प्रदेश के पहले स्थापना दिवस 24 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री ने ओडीओपी योजना लांच की थी। योजना के लांच होने के बाद से ही मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में ओडीओपी से जुड़े उत्पादों को कीमत एवं गुणवत्ता में राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इनसे जुड़े लोगों के कौशल विकास, उत्पादों की डिजाइन एवं पैकेजिंग को अन्तराष्ट्रीय स्तर की बनाने, पूंजी की उपब्धता, ब्रांडिंग और मार्केंटिंग के लिए लगातार काम हो रहा है। इसके नतीजे भी अच्छे रहे हैं।

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