वाराणसी के सिल्क एक्सचेंज को अब बिचौलियों से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश की सरकार ने अब इसे इंट्रीग्रेटेड सिल्क कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने का निर्णय किया है।
इंट्रीग्रेटेड सिल्क कॉम्प्लेक्स के गठन से उचित कीमत पर शुद्ध रेशमी धागा मिलने से उत्पाद की लागत में कमी आएगी साथ ही इससे गुणवत्ता में सुधार भी लाया जा सकेगा ।
ओडीओपी योजना (एक जिला एक उत्पाद) के तहत होने वाले इस काम में लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत आएगी। उत्तर प्रदेश में रेशम उद्योग की अपार संभावनाएं हैं। सिर्फ वाराणसी और मुबारकपुर में रेशमी धागों की सालाना खपत करीब 3,000 मीट्रिक टन है। अकेले वाराणसी में करीब 7,000 हैंडलूम एवं 800 पॉवरलूम हैं। खपत के मात्र एक फीसद हिस्से की आपूर्ति प्रदेश से होती है। इस सेक्टर के विकास के लिहाज से उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का यह एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।