नई दिल्ली। सऊदी अरब टर्की और इजिप्ट (मिस्र) ने ब्रिक्स का सदस्य बनने में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। अगले साल साउथ अफ्रीका में होने वाली ब्रिक्स बैठक में इस बात पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा। इस बात की सूचना ब्रिक्स इंटरनेशनल फोरम की अध्यक्ष पूर्णिमा आनंद ने दी है। रूसी समाचार पत्रों की तरफ से भी इन तीनों देशों द्वारा ब्रिक्स का सदस्य बनने में रुचि लेने की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है।
ब्रिक्स की महत्ता इस बात से पता चलती है कि दुनिया की 42 प्रतिशत आबादी ब्रिक्स देशों में निवास करती है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका शेयर 23 प्रतिशत है , और नीति आयोग की एक रिपोर्ट कहती है कि अगले एक दशक में ब्रिक्स देशों का ग्लोबल जीडीपी में हिस्सा 30 प्रतिशत तक हो सकता है।
वैश्विक व्यापार में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है। ब्रिक्स देशों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 16 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का है । ब्रिक्स का एक बड़ा महत्व उसके न्यू डेवलपमेंट बैंक और उसके द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं से पता चलता है । 100 बिलियन डॉलर वाले इस बैंक से ब्रिक्स देशों में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है । इस बैंक ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस से भी समझौता भी किया है।
ब्रिक्स के ही बैनर तले 100 बिलियन डॉलर वाले कंटिंजेन्ट रिजर्व अरेंजमेंट के जरिए ब्रिक्स देशों में किसी भी भुगतान संतुलन संकट , तरलता संकट यानि मुद्रास्फीति और अवस्फीति जैसी समस्याओं से निपटने के लिए वित्तीय मदद देने का इंतजाम किया गया है ।