राफेल सौदे के बारे में कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं. सूत्रों ने दावा किया है कि मोदी सरकार का राफेल सौदा यूपीए से 1.6 अरब डॉलर सस्ता है. लेकिन साथ ही यह खबर भी मिली है कि रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीए सरकार के सौदे पर आपत्ति की थी और इसको लेकर रक्षा मंत्रालय में मतभेद थे.
सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था और इस पर डिसेंट नोट यानी असंतोष की टिप्पणी की थी. लेकिन उनके इस नोट को खारिज करते हुए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ा दिया गया.
उनका यह डिसेंट नोट बेंचमार्क कीमत को लेकर था. एक वर्ग बेंचमार्क कीमत 500 करोड़ यूरो तय करना चाहता था, लेकिन इस बैठक में अंतत: सौदे की बेंचमार्क कीमत 820 करोड़ यूरो तय की गई. लेकिन जब इसके आधार पर विमान खरीदने को मंजूरी देते हुए कैबिनेट नोट को आगे बढ़ाया गया तो इसके विरोध में एक अफसर छुट्टी पर चले गए.
सरकार ने फ्रांस के साथ हुए डील की शर्तों के मुताबिक इन आंकड़ों का खुलासा नहीं किया है. लेकिन अब देश में इस पर काफी विवाद की स्थिति को देखते हुए सरकार आंकड़ों को सार्वजनिक करने के लिए फ्रांस सरकार से आग्रह कर सकती है.
कतर को सस्ता विमान मिलने पर वायु सेना का कहना है कि उसका फ्रांस के साथ कोई ऑफसेट समझौता नहीं है और उसने सिर्फ बेसिक एयरक्राफ्ट लेने का सौदा किया है.
इस तरह हुआ मोलतोल
सूत्रों के अनुसार, मुताबिक यूपीए सरकार को 18 फ्लाइवे कंडीशन वाले विमान 688 करोड़ रुपये प्रति विमान के दर से मिलने वाले थे. यूपीए सरकार ने 126 लड़ाकू विमानों के लिए सौदा किया था. इसमें से 18 फ्लाइवे यानी उड़ने के लिए तैयार विमान 688 करोड़ रुपये प्रति विमान कीमत से लिए जाने थे. 108 विमान एचएएल में बनने थे और यह प्रति विमान 911 करोड़ रुपये के हिसाब से मिलते, जिसमें ऑफसेट भी शामिल था.
साल 2013 में यूरो फाइटर ने कुछ चीजों पर 20 फीसदी डिस्काउंट की बात की, लेकिन ऑर्डर में देरी और महंगाई आदि को जोड़ने की वजह से राफेल की कीमत कम नहीं की गई.
इस बात पर हुआ फ्रांस से मतभेद
साल 2014 में बातचीत का सिलसिला टूट गया, क्योंकि इस बात पर विवाद था कि भारत में 108 विमान बनाने के लिए कितने मानव घंटे श्रम की जरूरत होगी. फ्रांस की गुणना के मुताबिक इसमें 3.1 करोड़ मैन ऑवर लगने थे, जबकि एचएएल का दावा था कि इसमें 10 करोड़ मैन ऑवर लगेंगे. इसी साल भारत ने पुराने कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया और नए सिरे से बातचीत शुरू की.
इस तरह से सस्ता साबित हुआ सौदा
भारत ने 36 विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौता किया. यूपीए के दौर की 18 विमान खरीद के हिसाब से 36 विमानों की बेसिक कीमत 950.3 करोड़ यूरो होती थी, लेकिन मोदी सरकार ने बातचीत कर इसकी अंतिम कीमत सिर्फ 788.9 करोड़ यूरो तय की. इसमें से भी फ्रांस 50 फीसदी ऑफसेट के लिए निर्धारित करने पर राजी हुआ, यानी वह इसका 50 फीसदी भारत में निवेश करेगा.
भारत सरकार का यह भी कहना है कि इस कीमत के भीतर ही भारत की जरूरतों के मुताबिक विमान में 13 बदलाव किए जाने हैं. इस तरह सरकार का दावा है कि यह सौदा यूपीए से 1.6 अरब डॉलर सस्ता है.