लखनऊ। एक ओर जहाँ सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार और शासन सरकारी सेवाओं की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने की मंशा रखते हैं वहीं दूसरी ओर चयन के बाद भी 635 अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहे हैं। वह भी तब जब लोक सेवा आयोग द्वारा संस्तुति-आवंटन मिलने के तीन माह के भीतर अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का प्रावधान है। ऐसे में चार माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी नियुक्ति की जगह सिर्फ आश्वाशन मिलने से अभ्यर्थी हैरान हैं। इनमें सबसे ज्यादा भ्रम की स्थिति मनोरंजन कर अधिकारी को लेकर है। इस पद के लिए 45 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं लेकिन मनोरंजन कर विभाग का वाणिज्य कर विभाग में संविलयन हो जाने के कारण ये सभी अभ्यर्थी स्वयं मनोरंजन का पात्र बन गए हैं।
उल्लेखनीय है कि लोअर पीसीएस-2015 परीक्षा का विज्ञापन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सितम्बर 2015 में जारी किया गया था। तीन चरणों-प्रारम्भिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की परीक्षा का अंतिम परिणाम आयोग द्वारा लगभग ढ़ाई वर्ष बाद 13 अप्रैल 2018 को जारी किया गया था। परीक्षा परिणाम के आधार पर 635 अभ्यर्थियों को उपकारापाल, आबकारी निरीक्षक, मनोरंजन कर निरीक्षक, विपणन निरीक्षक, अधिशाषी अधिकारी आदि पदों पर नियुक्ति के लिए संस्तुत किया गया है। आयोग द्वारा कार्मिक विभाग को संस्तुतियाँ अप्रैल माह में ही अग्रेशीत की जा चुकी हैं। जिसमें मनोरंजन कर निरीक्षक पद पर चयनित 45 अभ्यर्थी भी शामिल हैं।
इन 635 पदों में अधिकाँश पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया सम्बंधित विभागों द्वारा या तो पूर्ण कर ली गयी है या नियुक्ति पूर्व चिकित्सकीय सत्यापन आदि की प्रक्रिया चल रही है। किन्तु मनोरंजन कर निरीक्षकों की नियुक्ति को लेकर अभी तक कोई प्रक्रिया प्रारंभ नही हुई है। इस सम्बन्ध में जनसुनवाई पोर्टल पर अपर मुख्य सचिव, मनोरंजन कर को आवेदन करने पर अभ्यर्थियों को यह बताया गया कि शासन की अधिसूचना 24 अप्रैल 2018 के अनुसार मनोरंजन कर विभाग का संविलयन वाणिज्य कर विभाग में कर दिया गया है और मनोरंजन कर विभाग में कार्यरत समूह क, ख, ग और घ (मनोरंजन कर निरीक्षकों को छोड़कर) के कार्मिकों को वाणिज्य कर में समाहित कर दिया गया है।
यही वजह है कि नव चयनित निरीक्षकों की नियुक्ति को लेकर निर्णय शासन स्तर पर विचाराधीन है। इस सम्बन्ध में अभ्यर्थी मनोरंजन कर, वाणिज्य कर और शासन स्तर पर विभाग प्रमुखों से भी मिल चुके हैं लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही प्राप्त हुआ है। दिलचस्प तथ्य यह है कि पहले से कार्यरत मनोरंजन कर निरीक्षक पूर्व की भाँति कार्य कर रहे हैं और उन्हें वेतन आदि का भुगतान किया जा रहा है लेकिन नवचयनित निरीक्षकों की, संविलयन पर निर्णय होने तक नियुक्ति नहीं की जा रही है।
इस प्रकार एक ही परीक्षा में सफलता मिलने के बावजूद भी नियुक्ति न मिलने से इन अभ्यर्थियों को अन्य अभ्यर्थियों की तुलना में आर्थिक एवं अन्य सेवा लाभों से वंचित होना पड़ रहा है। चयनित मनोरंजन कर निरीक्षक अब अपनी नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। बता दें कि वाणिज्य और मनोरंजन कर विभाग वर्तमान में मुख्यमंत्री के ही पास है और अभ्यर्थियों को अब उनसे ही न्याय की उम्मीद है।