नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछली सरकारों पर देश के सामान्य नागरिक को बैंकिंग, पेंशन और बीमा सुविधाओं से दूर रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह सब ‘खुलेआम बेशर्मी’ से किया जा रहा था। गैर उत्पादक जमापूंजी और अनौपचारिक क्षेत्र से ऋण लेने सामान्य नागरिक की स्थिति खराब हो रही थी और देश के विकास में उसकी भागीदारी न के बराबर थी। पेंशन और बीमा सुविधाएं केवल समृद्ध परिवारों के भाग्य में ही मानी जाती थीं। आज वित्तीय समावेशन ही नहीं, बैंकिग और वित्तीय क्षेत्र तक पहुंच में आसानी भारत की पहचान है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहलों का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा, “जिन लोगों पर इन सुविधाओं (बैंकिंग, बीमा और पेंशन) को गरीब तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने भी इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। बल्कि बदलाव ना हो, इसके लिए भांति-भांति के बहाने बनाए जाते थे। कहा जाता था-बैंक ब्रांच नहीं है, स्टाफ नहीं है, इंटरनेट नहीं है, जागरूकता नहीं है, ना जाने क्या-क्या तर्क होते थे। अभी 6-7 साल पहले तक भारत में बैंकिंग, पेंशन, इंश्योरेंस, ये सबकुछ एक विशेष वर्ग से जुड़ा जैसा हुआ करता था। देश का सामान्य नागरिक, गरीब परिवार, किसान, छोटे व्यापारी-कारोबारी, महिलाएं, दलित-वंचित-पिछड़े, इन सबके लिए ये सब सुविधाएं बहुत दूर थीं।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहलों का शुभारंभ किया। ये पहल हैं – भारतीय रिजर्व बैंक की खुदरा प्रत्यक्ष योजना और रिजर्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की इन योजना से निवेश के दायरे का विस्तार होगा और पूंजी बाजार तक पहुंच आसान और सुरक्षित बनेगी। हमें देश की, देश के नागरिकों की आवश्यकताओं को केंद्र में रखना ही होगा, निवेशकों के भरोसे को निरंतर मजबूत करते रहना होगा। उन्हें पूरा विश्वास है कि एक संवेदनशील और निवेशक अनुकूल गंतव्य के रूप में भारत की नई पहचान को आरबीआई निरंतर सशक्त करता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खुदरा प्रत्यक्ष योजना से देश में छोटे निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश का सरल और सुरक्षित माध्यम मिल गया है। इसी प्रकार से एकीकृत लोकपाल योजना से बैंकिंग सेक्टर में एक देश, एक लोकपाल ने आज साकार रूप लिया है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन ने 2014 के पहले की सरकारों पर वित्तीय क्षेत्र के विस्तार को रोकने और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग व्यवस्था को खस्ताहाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आज पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक बैंकिंग क्षेत्र में सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते सात सालों में गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) की पारदर्शिता के साथ पहचान की गई है। समाधान और रिकवरी पर ध्यान दिया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को फिर से पूंजीकृत किया गया है। जानबूझ कर बैंकों का ऋण नहीं चुकाने वालों के लिए फंड जुटाने के सभी रास्ते बंद किए गए हैं। इन सुधारों से बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास और ऊर्जा लौटी है।
उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र को और मज़बूत करने के लिए कॉपरेटिव बैंकों को भी आरबीआई के दायरे में लाया गया है। इससे इन बैंकों की गवर्नेंस में भी सुधार आ रहा है और जो लाखों खाताधारकों के भीतर भी इस व्यवस्था के प्रति विश्वास मजबूत हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते सालों में देश के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में समावेशन से लेकर तकनीकी इंटीग्रेशन और दूसरे रिफॉर्म किए गए हैं और इनकी क्षमता हमने कोविड के इस मुश्किल समय में भी देखी है। सरकार जो बड़े-बड़े फैसले ले रही थी, उसका प्रभाव बढ़ाने में आरबीआई के फैसलों ने भी मदद की।
वित्तीय समावेशन से जुड़े कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से यूपीआई आधारित लेने-देन का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यूपीआई ने तो बहुत ही कम समय में डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में दुनिया का अग्रणी देश बना दिया है। सिर्फ 7 सालों में भारत ने डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में 19 गुणा की छलांग लगाई है। आज 24 घंटे, सातों दिन और 12 महीने देश में कभी भी, कहीं भी हमारा बैंकिंग सिस्टम चालू रहता है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक खुदरा प्रत्यक्ष योजना का उद्देश्य है कि सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों की पहुंच बढ़ाई जाये। इसके तहत खुदरा निवेशकों के लिये भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों में सीधे निवेश करने का रास्ता खुल जायेगा। निवेशक भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से ऑनलाइन सरकारी प्रतिभूति खाते आसानी से खोल सकते हैं और उन प्रतिभूतियों का रख-रखाव कर सकते हैं। यह सेवा निशुल्क होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना का उद्देश्य है कि शिकायतों को दूर करने वाली प्रणाली में और सुधार लाया जाये, ताकि संस्थाओं के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक नियम बना सके। इस योजना की केंद्रीय विषयवस्तु ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा पर आधारित है। इसके तहत एक पोर्टल, एक ई-मेल और एक पता होगा, जहां ग्राहक अपनी शिकायतें दायर कर सकते हैं। ग्राहक एक ही स्थान पर अपनी शिकायतें दे सकते हैं, दस्तावेज जमा कर सकते हैं, अपनी शिकायतों-दस्तावेजों की स्थिति जान सकते हैं और फीडबैक दे सकते हैं। बहुभाषी टोल-फ्री नंबर भी दिया जायेगा, जो शिकायतों का समाधान करने तथा शिकायतें दायर करने के बारे में सभी जरूरी जानकारी प्रदान करेंगे।
कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी उपस्थित थे।