बेगम अख्तर की रचनाओं में सजी अवध की शाम

लखनऊ। निधन को चार दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अपनी गायकी के कारण संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाली मल्लिका-ए-गजल बेगम अख्तर की पुण्यतिथि पर शनिवार को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें सुरीली श्रद्धांजलि अर्पित की। अकादमी द्वारा बेगम अख्तर की पुण्यतिथि पर आयोजित किए जाने वाले ”यादें” समारोह में मुंबई की पूजा गायतोंडे ने गायन से उनकी रचनाओं की प्रस्तुति की। उन्होंने इस मौके पर बेगम अख्तर की गाई कई प्रसिद्ध गजलों को सुनाकर उनकी याद ताजा कर दी।

संत गाडगे सभागार में आयोजित कार्यक्रम का आरंभ बेगम अख्तर की गाई और प्रसिद्ध शायर कैफी आजमी की लिखी गजल – बस एक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में, कि तेरा जिक्र भी आएगा इस फसाने में..से करते हुए कहा कि कैफी साहब की बेटी और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने गजल को समारोह में प्रस्तुत करने के लिए खासतौर पर कहा था। पूजा ने जैसे ही अपनी दूसरी प्रस्तुति के रूप में बेगम अख्तर की गाई प्रसिद्ध गजल- ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया.. सुनाई, उपस्थित श्रोता बेगम की गायकी की यादों में डूब गए। शकील बदायूंनी की लिखी इस गजल में उन्होंने सुनाया-ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया, जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया, यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुजर जाती थी,आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया..।

मुंबई को पूजा गायतोंडे को सूफी जॉज के लिए जाना जाता है जिसे उन्होंने लुइस बैंक्स के साथ तैयार किया है। उनका अलबम अहसास की खुशबू था जबकि वे मराठी गजल भी गा चुकी हैं। वे भक्ति इबादत, नक्श-ए-गजल, उर्दू हेरिटेज फेस्टिवल, खुसरो कबीर, जहान-ए-खुसरो जैसे प्रसिद्ध आयोजनों में गायन कर चुकी हैं। संध्या में पूजा ने अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बेगम अख्तर की गाई एक अन्य गजल-खुशी ने मुझ को ठुकराया है दर्द-ओ-गम ने पाला है, गुलों ने बे-रुखी की है तो कांटों ने संभालाहै.. सुनाया। अपने कार्यक्रम में उन्होंने बाद में मेरे हमनफस मेरे हमनवा, सावन की ऋतु आई सहित कई अन्य रचनाएं एवं सूफी कलाम भी प्रस्तुत किए। तबले पर राकेश कुमार, ढोलक पर दीपक कुमार, सारंगी पर हयात ने संगत की। भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी रमेश मिश्र, संध्या की कलाकार पूजा गायतोंडे, विदुषी गिरिजा देवी की शिष्या रूपान सरकार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर संध्या का शुभारंभ किया। संध्या का संचालन फरहा ने किया।

हजारों लोग ले रहे सीधे प्रसारण का आनंदः सचिव

समारोह में स्वागत करते हुए अकादमी के सचिव तरुण राज ने कहा कि वार्षिक कार्यक्रमों के आयोजन की अपनी परंपरा को अकादमी ने कायम रखा है। उन्होंने कहा कि हालांकि कोरोना के भय के कारण संगीतप्रेमी अभी भी प्रेक्षागृह में आने से बच रहे हैं लेकिन सीधे प्रसारण के जरिए हजारों लोग अकादमी के कार्यक्रम को देख रहे और उसका आनंद ले रहे हैं। हमारे सीधे प्रसारण पर हजारों संगीतप्रेमियों की प्रतिक्रिया मिल रही है और उन्हें घर बैठे ही कार्यक्रमों का आनंद मिल रहा है। उन्होंने अतिथियों और कलाकारों का स्वागत किया।

कर्मभूमि लखनऊ बनी

बेगम अख्तर का जन्म हालांकि फैजाबाद में सात अक्तूबर ,1914 को फैजाबाद में हुआ था लेकिन उनकी कर्मभूमि लखनऊ रही। लखनऊ में ही उनको बेगम अख्तर का नाम और पहचान मिली। पद्मभूषण, पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मान से सम्मानित बेगम अख्तर को मल्लिका-ए-गजल कही जाती हैं, उनकी गाई ठुमरी और दादरा भी काफी लोकप्रिय रहे हैं। बेगम अख्तर का निधन 30 अक्तूबर, 1974 को अहमदाबाद में एक समारोह के दौरान हुआ था। उन्हें लखनऊ लाकर ठाकुर गंज इलाके के पसंदबाग में उनकी मां मुश्तरी बाई की बगल में दफनाया गया है।

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