पुण्यतिथि समारोह में समाजवादी नेता मोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते समय सभी नेता भावुक हो गए। किसी ने उन्हें राजनीति का कबीर तो किसी ने विचारों को धनी बताया।
पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया नेताप्रतिपक्ष विधानसभा रामगोविंद चौधरी।
कुशीनगर। समजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा में सचेतक और चिंतक रहे मोहन सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में समाजवादी नेता मोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते समय सभी नेता भावुक हो गए। किसी ने उन्हें राजनीति का कबीर तो किसी ने विचारों को धनी बताया। मंच से आज के युवा सपा नेताओं को स्वर्गीय मोहन सिंह के विचारों से सीख लेने की बात कही गई।
शनिवार को लालबहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज सपही टंडवा कुशीनगर परिसर में पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री व नेताप्रतिपक्ष विधानसभा रामगोविंद चौधरी ने कहा कि मोहन सिंह का चरित्र युवा वर्ग के लिए अनुकरणीय है। सामाजिक चिंतक रहे मोहन सिंह ने जीवन पर्यंत समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाया और कठिन परिस्थितियों में भी वे अपने मार्ग से नहीं डिगे। नेताप्रतिपक्ष चौधरी ने कहा कि वे हम लोगों के बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आदर्श आज भी हम लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए काफी है। राजनीति में रहते हुए भी जरूरत पड़ने पर वह कठोर बातों को भी कहने से नहीं हिचकते थे। कई बार दलगत भावना से ऊपर उठकर उन्होंने नसीहत भी दी थी।
नेताप्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि मोहन सिंह पार्टी में रहते हुए कार्यकर्ताओं और नेताओं को रास्ता दिखाने का काम किया। मोहन सिंह पार्टीजन के लिए अभिभावक की भूमिका निभाते रहे।
रामगोविंद चौधरी ने कहा कि स्वर्गीय मोहन सिंह के साथ हमने काम किया है। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है। वे हम लोगों की जरुरत थे। उपेक्षित, पीड़ित और गरीब लोगों के बारे में लिखते समय वे चिंतित हो जाते थे। पार्टी के अधिवेशन और सम्मेलन में सभी लोग साथ बैठ कर चिंतन करते थे। मोहन सिंह जो कहते थे, आज वही हो रहा है। लोहिया और मोहन सिंह के विचारों पर देश चलता तो किसान और गांव के लोग खुश रहते। लोकसभा और विधानसभा में मोहन सिंह ने अपनी बात को सही ढंग से रखा। इसी के चलते वर्ष 2008 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद होने का गौरव प्राप्त हुआ। रामगोविंद ने कहा कि स्वर्गीय मोहन सिंह अपने सहयोगियों को विचारों से सहमत करते थे। वह आज की राजनीति के कबीर थे।