लखनऊ। शरद पूर्णिमा की छिटकती चांदनी का भक्तों ने आनंद लिया। पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी पूरी कलाओं के साथ मंगलवार को उदय हुआ था। आकाश में बदरी होने के बावजूद भी चंद्रमा अपनी आभा बिखेर रहा था। मानों धरती उसकी चांदनी में स्नान कर रही हो। चंद्रमा के दर्शन से मन को बड़ी शांति मिली। भक्तों ने चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य दिया।
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी पूरी 16 कलाओं के साथ उदय होता है। बिल्कुल एक बड़े से थाल के समान। चंद्रमा की चांदनी में औषधीय गुण होते हैं। पूर्णिमा की चांदनी से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए लोक परम्परा है कि इस दिन भक्त लोग चांदनी में दूध की खीर बनाकर रखते हैं। सुबह उस खीर का सेवन करते हैं। बहुत से परिवारों में परम्परानुसार खीर रखी गई। इसकी चांदनी में सुई में धागा पिरोने का भी रिवाज है।
अध्यात्म एवं ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य गोपाल दास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र मेें चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है। यह जलीय तत्व का ग्रह है। मानव शरीर में भी पानी की मात्रा बहुत होती है। इस कारण से मानव के मन और शरीर पर दोनाें पर चंद्रमा का बहुत प्रभाव पड़ता है। शरद पूर्णिमा का चंद्रमा चूंकि एक त्योहारी माहौल में आता है, इस समय मानव का मन प्रफुल्लित रहता है, इस कारण से इस पूर्णिमा चंद्रमा मन को बहुत शांति देता है।