हरिद्वार। सुहागिन महिलाओं का त्योहार करवा चौथ इस बार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत महत्व है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत होता है। इस व्रत में महिलाएं सुबह से चन्द्र दर्शन तक निराहार रहती हैं। जबकि कुछ स्थानों पर तड़के व्रत रखने से पूर्व सगरी खाकर व्रत रखने का चलन है।
करवा चौथ व्रत के संबंध में ज्योतिषाचार्य पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री का कहना है कि करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से महिलाएं इस व्रत को करती हैं। इस व्रत के दौरान पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करतीं है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन शाम को चंद्रमा को देखकर तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं।
श्री शुक्ल के मुताबिक करवा चौाि का व्रत खासतौर से उत्तर में ही किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और शिव-पार्वतीजी के साथ करवा माता की पूजा की जाती है। इस दिन रात को चंद्रमा दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का परायण करती हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा। मान्यता के अनुसार, इस नक्षत्र में व्रत रखना अति शुभ माना जाता है। इस बार करवा चौथ को यानी रविवार 24 अक्टूबर को चांद रात 8.07 मिनट पर निकलेगा। श्री शुक्ल के मुताबिक करवा चौथ शुभ मुहूर्त में चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 3. 01 मिनट से आरम्भ जबकि चतुर्थी तिथि 25 अक्टूबर को सुबह 5. 43 मिनट पर होगी। जबकि करवा चौथ व्रत पूजा शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 5.43 मिनट से 6.59 मिनट तक रहेगा।
शुक्ल के मुताबिक महिलाएं इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार, सरगी आदि ग्रहण करें। स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें। शाम को तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवा चौथ की कथा पढ़ें। चंद्रमा निकलने पर धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान से चन्द्रमा की पूजा कर करवे से उनको अर्घ्य दें। इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें। अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें। पूजन की गई श्रृंगार की सामग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें।