भारत के थिंक टैंक, छात्रों से मिलेगी डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन

नई दिल्ली(शाश्वत तिवारी)। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन तीन दिवसीय दौरे पर 9-11 अक्टूबर को भारत आ रही हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रकोप के बाद वह किसी देश की पहली राष्ट्राध्यक्ष होंगी, जो भारत की राजकीय यात्रा करेंगी। इस दौरान वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ साथ ‘हरित सामरिक गठजोड़’ के क्षेत्र में प्रगति की समीक्षा करने के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा करेंगी।

भारत के थिंक टैंक, छात्रों और नागरिक समाज के अन्य सदस्यों के साथ भी करेंगी बातचीत

‘हरित सामरिक गठजोड़ के अलावा दोनों प्रधानमंत्री अफगानिस्तान की स्थिति सहित पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। 9 अक्टूबर को एक दिन की आधिकारिक बैठकों के बाद प्रधानमंत्री फ्रेडरिकसन 10 और 11 अक्टूबर को भारत के थिंक टैंक, छात्रों और नागरिक समाज के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत भी करेंगी।

हरित सामरिक गठजोड़ समेत द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर करेंगी चर्चा।

अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में भारत का सहयोग कर रहा है डेनमार्क:

भारत और डेनमार्क के बीच हरित सामरिक गठजोड़ एक नया समझौता है, जो द्विपक्षीय सहयोग के मुख्य क्षेत्र के रूप में हरित और सतत विकास को प्राथमिकता देता है। भारत उन कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक देश है जिसने अपने पेरिस जलवायु लक्ष्यों को बरकरार रखा है और 2030 तक 450 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। डेनमार्क समुद्र में पवन चक्की लगाकर ऊर्जा पैदा करने में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है, जो भारत को अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में शोध, क्षमता निर्माण, पूर्ण स्पेक्ट्रम और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में सहयोग कर रहा है।

पानी की गुणवत्ता सुधारने में डेनमार्क की विशेषज्ञता का किया जा रहा उपोयग:

दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते के तहत डेनमार्क की विशेषज्ञता का उपयोग प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल और स्वच्छ गंगा मिशन के तहत पूरे भारत में पानी की गुणवत्ता और आपूर्ति को सुधारने के लिए किया जा रहा है। वर्तमान में प्रस्तावित भारत-डेनिश जल प्रौद्योगिकी गठबंधन के एक भाग के रूप में डेनमार्क भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे विभिन्न संस्थानों का सहयोग कर रहा है। इसके साथ ही भूजल और रिसाव प्रबंधन से जुड़े संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के संचालन के लिए जल संसाधन मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ भी काम कर रहा है।

95 प्रतिशत वेस्टवाटर ट्रीटमेंट करता है डेनमार्क:

डेनमार्क अपशिष्ट जल से ऊर्जा का उत्पादन करने वाले देशों में से एक है। यही नहीं डेनमार्क अपने वेस्टवाटर का 95 प्रतिशत ट्रीटमेंट भी करता है। इस संबंध में डेनमार्क शहरी वेस्टवाटर ट्रीटमेंट से लेकर नदी की सफाई की पहल जैसे स्वच्छ गंगा मिशन जैसी कई परियोजनाओं में भारत का मार्गदर्शन भी कर सकता है।

दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापार और निवेश संबंध हैं:

भारत और डेनमार्क के बीच मजबूत व्यापार और निवेश संबंध हैं। भारत में 200 से अधिक डेनिश कंपनियां मौजूद हैं और 60 से अधिक भारतीय कंपनियों की डेनमार्क में हैं। इस यात्रा से भारत और डेनमार्क के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों को और होने की उम्मीद है।

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