मीरजापुर। आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार तड़के शैलपुत्री स्वरूप के दर्शन को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। हर कोई मां की झलक पाने को लालायित दिखा। पिछले डेढ़ साल बाद मां विंध्यवासिनी धाम में नवरात्र मेले की रौनक लौटी। कोरोना के चलते पिछले डेढ़ साल से नवरात्र के समय श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन नहीं कर सके थे।
नवरात्र के पहले दिन मां का दर्शन करने का अपना अलग ही महात्म है। चाहे वह चैत्र नवरात्र हो या शारदीय नवरात्र। हालांकि आज से शारदीय नवरात्र आरंभ हो गया। प्रथम दिन बुधवार की देर रात से भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। भोर की मंगला आरती के बाद विंध्यधाम एक बार फिर घंटा-घड़ियाल के बीच मां विंध्यवासिनी के जयकारे से गुंजायमान हो उठा। हाथ में नारियल, चुनरी, माला-फूल प्रसाद के साथ कतारबद्ध श्रद्धालु मां की भक्ति में लीन दिखे। मां विंध्यवासिनी का भव्य श्रृंगार किया गया था। मंदिर भी प्राकृतिक फूलों व रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था, जो अलौकिक छटा बिखेर रहा था। कोई झांकी तो कोई गर्भगृह से मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन कर मंगलकामना किया। श्रद्धालुओं ने मां की आरती भी की। मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के बाद मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं के चरणों में शीश झुकाया। हवन-कुंड की भी परिक्रमा की। इसके बाद विंध्य पर्वत पर विराजमान मां अष्टभुजा व मां काली के दर्शन को पैदल निकल पड़े। मां अष्टभुजा व मां काली का दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर के पास रेलिंग पर चुनरी बांध मन्नतें मांगी। इसके बाद शिवपुर स्थित तारा मंदिर के दर्शन को निकल पड़े। मां तारा मंदिर पहुंच पूजन-अर्चन किया। भक्तों को डेढ़ साल बाद नवरात्र के समय त्रिकोण परिक्रमा करने का मौका मिला। भक्तों ने भी यह मौका नहीं छोड़ा और त्रिकोण परिक्रमा कर सुख-समृद्धि की कामना की। गंगा घाटों पर भी स्नानार्थियों की भीड़ दिखी। वापस लौटते समय श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में जरूरत के सामानों की जमकर खरीदारी की। वहीं बच्चे भी माता-पिता से जिद कर मन-पसंद खिलौने खरीदे। श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी। सीसीटीवी कैमरा से मेला क्षेत्र की निगहबानी की जा रही थी। जगह-जगह पुलिसककर्मी लगाए गए थे। वहीं पंडा समाज भी भक्तों की सेवा में जुटा रहा।
नौ दिनों तक पूजन-अनुष्ठान के लिए भक्तों ने जमाया डेरा
नवरात्र के प्रथम दिन ही विंध्याचल के सभी होटल लगभग फुल थे। नौ दिनों तक पूजन-अनुष्ठान करने वाले भक्त पहले ही डेरा जमा चुके हैं। नवरात्र के प्रथम दिन से मंदिर की छत पर पूजन-अनुष्ठान का दौर शुरू हो गया, जो नवमी तक चलेगा।
अतिरिक्त ट्रेनें न चलने से बढ़ी वाहनों की तादात
वाहन स्टैंड भी लगभग फुल दिखे। पहले नवरात्र के समय रेलवे की ओर से विंध्याचल के लिए अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जाती थी। इस बार अतिरिक्त ट्रेनें न चलाए जाने से दूर-दराज के श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन को निजी वाहन से विंध्यधाम पहुंचे। ऐसे में नवरात्र के दौरान निजी वाहनों की संख्या बढ़ने की संभावना है। इससे कोरोना के चलते पिछले तीन नवरात्र से मायूस चल रहे वाहन स्टैंड स्वामी अच्छी कमाई कर सकेंगे।
शारदीय नवरात्र से काफी उम्मीदें, दुकानदार खुश
कोरोना के चलते पिछले डेढ़ साल से नवरात्र के समय विंध्यवासिनी मंदिर बंद रहने से आर्थिक तंगी झेल रहे प्रसाद, श्रृंगार व अन्य दुकानदार काफी मायूस थे। इन दुकानदारों को शारदीय नवरात्र से काफी उम्मीद है। सतर्कता व सजगता की वजह से कोरोना की रफ्तार थमने से श्रद्धालुओं की आमद बढ़ने लगी। नवरात्र के प्रथम दिन श्रद्धालुओं की संख्या देख दुकानदार काफी खुश दिखे।
विंध्य कारिडोर की झलक देख उत्सुक दिखे श्रद्धालु
सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कारिडोर की चर्चा दूर-दूर तक है। इसमें हर किसी ने अपनी भागीदारी निभाई है। प्रशासन ने भी सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को सपनों सरीखा बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। यही कारण रहा कि कोरोना काल में भी कारिडोर का कार्य प्रभावित नहीं हुआ। विंध्य कारिडोर निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण के बाद विंध्यधाम संकरी गलियों से मुक्त हो गई है। इससे श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत होने लगी है। विंध्यवासिनी मंदिर भी गंगा से एकाकार हो गई है। अब श्रद्धालु विंध्यवासिनी मंदिर से ही गंगा दर्शन भी कर सकेंगे। किस तरह दिखेगा कारिडोर, इसका जवाब इंटरनेट मीडिया के जरिए हर किसी के पास पहुंच चुका है। शारदीय नवरात्र के दौरान विंध्यधाम पहुंचने वाले श्रद्धालु विंध्य कारिडोर की झलक देख काफी उत्सुक दिखे। अभी तक तो प्रशासनिक तौर पर ही कहा जाता था कि कारिडोर बनने से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। अब तो श्रद्धालु भी कहने लगे हैं कि कारिडोर बनने से निश्चित तौर पर श्रद्धालुओं की आमद बढ़ेगी। एक अगस्त को बहुप्रतीक्षित विंध्य कारिडोर का शिलान्यास होने के बाद निर्माण कार्य शुरू होने का इंतजार है। हालांकि शारदीय नवरात्र के बाद निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है। इसके लिए सारी प्रक्रियाएं लगभग पूर्ण हो चुकी है।
रोप-वे से भरी उड़ान, श्रद्धालुओं की राह हुई आसान
लंबे इंतजार के बाद एक अगस्त को उद्घाटन हुआ तो रोप-वे को उड़ान भरने का मौका मिला। पर्यटन विभाग ने 16 करोड़ की लागत से पीपीपी माडल पर विंध्य पर्वत पर रोप-वे का निर्माण कराया है। यह पूर्वांचल का पहला रोप-वे है। पहले मां अष्टभुजा व मां काली के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं को सीढ़ी चढ़कर जाना होता था, जो बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए खासा थकान भरा होता था। अब रोप-वे संचालन शुरू होने से श्रद्धालुओं की राह आसान हो गई है और काफी सहूलियत भी होने लगी है।